क्या कोबरापोस्ट का आरोप सही है? रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप पर 28,874 करोड़ रुपए का फ्रॉड?

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क्या कोबरापोस्ट का आरोप सही है? रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप पर 28,874 करोड़ रुपए का फ्रॉड?

सारांश

कोबरापोस्ट ने रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप पर 28,874 करोड़ रुपए का बड़ा बैंकिंग फ्रॉड करने का आरोप लगाया है। क्या यह आरोप सच है? जानें इस विस्तृत रिपोर्ट में जो विभिन्न कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डालती है।

Key Takeaways

  • कोबरापोस्ट ने रिलायंस समूह पर बड़ा आरोप लगाया है।
  • रिपोर्ट में 28,874 करोड़ रुपए का फ्रॉड का जिक्र है।
  • रिलायंस समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है।
  • यह मामला कई कानूनी पहलुओं से जुड़ा हुआ है।
  • मामला मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आ सकता है।

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। इन्वेस्टिगेटिव न्यूज वेबसाइट कोबरापोस्ट ने गुरुवार को यह आरोप लगाया कि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप ने एक बड़ा बैंकिंग फ्रॉड किया है, जिसमें 2006 से लेकर अब तक 28,874 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का हेरफेर किया गया है।

कोबरापोस्ट की रिपोर्ट में बताया गया है कि इसमें एडीए ग्रुप की कंपनियों द्वारा बैंक लोन, आईपीओ और बॉंड्स के माध्यम से जुटाई गई राशि शामिल है।

इसके अलावा, विदेशों से जुटाए गए 1,535 मिलियन डॉलर के फंड को फर्जी तरीके से भारत लाया गया। इसमें 750 मिलियन डॉलर की राशि भी शामिल है, जिसकी लाभार्थी कंपनी नेक्सजेन कैपिटल थी, जिसने एडीए ग्रुप की होल्डिंग कंपनी, रिलायंस इनोवेंचर्स के साथ एक अस्थायी कस्टडी अरेंजमेंट के तहत सिंगापुर के इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टमेंट्स एंड ट्रेडिंग प्राइवेट (ईएमआईटीएस) को दी थी।

कोबरापोस्ट की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि 750 मिलियन डॉलर की पूरी राशि भारत भेजी गई और बाद में गायब कर दी गई। इसी तरह, उन सहायक कंपनियों का भी यही हाल है जिनके जरिए एडीए समूह की होल्डिंग कंपनी रिलायंस इनोवेंचर्स को पैसा ट्रांसफर किया गया। यह गतिविधि संभावित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आ सकती है। इसके अलावा, एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग से जुटाए गए 785 मिलियन डॉलर एडीए समूह की विभिन्न कंपनियों में पहुंच गए, जिससे कुल राशि 1,535 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।

रिलायंस एडीए समूह ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए इसे एक दुर्भावनापूर्ण और एजेंडा संचालित कैंपेन बताया है। समूह का कहना है कि कोबरापोस्ट का यह खुलासा उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और पक्षकारों को गुमराह करने का एक जानबूझकर प्रयास है। अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी ने यह भी कहा है कि कोबरापोस्ट 2019 से निष्क्रिय है और इसका पुनरुद्धार पूरी तरह से उन संस्थाओं द्वारा फंड किया गया है जिनकी रिलायंस समूह की संपत्ति हासिल करने में प्रत्यक्ष व्यावसायिक रुचि है।

कोबरापोस्ट की रिपोर्ट में आगे आरोप लगाया गया है कि एडीए समूह की कंपनियों और उनके प्रमुख अधिकारियों ने कंपनी अधिनियम 2013, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अधिनियम, और आयकर अधिनियम जैसे विभिन्न कानूनों का उल्लंघन करते हुए धोखाधड़ी की है।

कोबरापोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, "इस प्रकार डायवर्ट किए गए 1,535 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मूल्य भारतीय मुद्रा में 85 रुपए प्रति डॉलर की औसत दर पर 13,047.50 करोड़ रुपए बैठता है। कुल मिलाकर, यह राशि 41,921.57 करोड़ रुपए से अधिक है।"

कोबरापोस्ट का दावा है कि इसकी जांच कई आधिकारिक और पब्लिक थर्ड-पार्टी स्रोतों के गहन विश्लेषण पर आधारित है, जिसमें कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रकाशित वैधानिक आदेश, नियामक फाइलिंग और दस्तावेज शामिल हैं।

Point of View

हमारा कार्य सत्यता के साथ तथ्य प्रस्तुत करना है। कोबरापोस्ट के आरोप और रिलायंस समूह का खंडन दोनों महत्वपूर्ण हैं। हमें इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और निष्पक्षता के साथ जांच करनी चाहिए। यह मामला न केवल वित्तीय धोखाधड़ी का है, बल्कि यह हमारे देश की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है।
NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

कोबरापोस्ट ने रिलायंस समूह पर क्या आरोप लगाए हैं?
कोबरापोस्ट ने आरोप लगाया है कि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप ने 28,874 करोड़ रुपए का बैंकिंग फ्रॉड किया है।
क्या रिलायंस समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है?
हाँ, रिलायंस समूह ने कोबरापोस्ट के आरोपों को एक 'दुर्भावनापूर्ण और एजेंडा संचालित कैंपेन' बताया है।
यह मामला किन कानूनी पहलुओं से जुड़ा है?
यह मामला कंपनी अधिनियम, फेमा, पीएमएलए, सेबी और आयकर अधिनियम जैसे विभिन्न कानूनों के उल्लंघन से जुड़ा है।
कोबरापोस्ट की रिपोर्ट पर भरोसा क्यों किया जाए?
कोबरापोस्ट का दावा है कि इसकी जांच कई आधिकारिक और पब्लिक थर्ड-पार्टी स्रोतों पर आधारित है।
क्या यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है?
कोबरापोस्ट की रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि इस गतिविधि में मनी लॉन्ड्रिंग की संभावनाएं हैं।