क्या रिश्वतखोरी मामले में सीबीआई कोर्ट ने रेलवे के अकाउंट्स असिस्टेंट को दो साल की जेल दी?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने रेलवे के अकाउंट्स असिस्टेंट को रिश्वतखोरी का दोषी पाया।
- दो वर्ष की कठोर कैद और 20 हजार रुपए का जुर्माना सुनाया गया।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाना आवश्यक है।
- यह मामला सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
- सीबीआई की कार्रवाई से भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता बढ़ी है।
कर्नूल, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत, कर्नूल ने रिश्वतखोरी के एक मामले में दक्षिण मध्य रेलवे, गुंटकल डिवीजन के वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक कार्यालय में कार्यरत अकाउंट्स असिस्टेंट चाल्ला श्रीनिवासुलु को दोषी ठहराया। अदालत ने आरोपी को दो वर्ष की कठोर कैद और 20 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।
यह मामला 20 नवंबर 2017 को दर्ज किया गया था। आरोप था कि चाल्ला श्रीनिवासुलु ने जुलाई 2017 से सितंबर 2017 के बीच लगभग 30 लाख रुपए के संविदा कार्य के बिलों को आगे बढ़ाने के लिए शिकायतकर्ता से रिश्वत की मांग की थी। सीबीआई ने शिकायत के बाद जाल बिछाकर आरोपी को 15 हजार रुपए
गिरफ्तारी के बाद की गई विस्तृत जांच में आरोपों की पुष्टि हुई, जिसके बाद 29 मार्च 2018 को आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया।
इस मामले में सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी को भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया और कानून के अनुसार सजा दी। यह फैसला सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
इससे पहले, सीबीआई अदालत, नागपुर ने रिश्वतखोरी के एक पुराने मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए ऑर्डनेंस फैक्ट्री, नागपुर के दो सरकारी अधिकारियों को दोषी करार दिया था। अदालत ने संयुक्त महाप्रबंधक सलीलकांत सनतकुमार तिवारी और कनिष्ठ कार्य प्रबंधक विनीत यादवराव सोरते को 5 साल के कठोर कारावास की सजा और प्रत्येक पर 1.5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।
यह मामला 2 जनवरी 2012 को सामने आया था, जब सीबीआई ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया। आरोप था कि दोनों अधिकारियों ने शिकायतकर्ता की फर्म का 90 हजार रुपए का बकाया भुगतान जारी करने के एवज में 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी।