क्या लालू यादव ने राजद की 'तेरहवीं' कर दी है?

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क्या लालू यादव ने राजद की 'तेरहवीं' कर दी है?

सारांश

पटना में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने लालू यादव की वापसी पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने इसे राजद की 'तेरहवीं' बताते हुए पार्टी के परिवारवाद पर सवाल उठाया। जानें, इस बयान के पीछे का सच्चाई क्या है और बिहार की राजनीति में इसका क्या असर हो सकता है।

Key Takeaways

  • लालू यादव का पुनः अध्यक्ष बनना राजद के लिए महत्वपूर्ण है।
  • भाजपा के नित्यानंद राय ने परिवारवाद पर सवाल उठाया।
  • बिहार की राजनीति में लोकतंत्र और परिवारवाद का टकराव जारी है।
  • जनता की राय और पार्टी की दिशा महत्वपूर्ण होगी।
  • राजद को आगामी चुनावों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

पटना, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का एक बार फिर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना लगभग तय है। इस संदर्भ में भाजपा के नेता और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लालू यादव पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि राजद का 13वीं बार अध्यक्ष बनकर लालू यादव ने पार्टी की तेरहवीं कर दी है।

पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने राजद को एक परिवारवादी पार्टी करार देते हुए कहा कि राजद ने लालू यादव को पुनः अध्यक्ष बनाकर यह साबित कर दिया है कि यह पार्टी परिवार से बाहर नहीं जा सकती। यह एक परिवारवादी पार्टी है जो केवल भ्रष्टाचार के लिए बनाई गई है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में परिवारवाद राजतंत्र की पहचान है। यह लोकतंत्र का मजाक है। अब राजद के लोग भी मानते हैं कि पार्टी में वंशवाद ठीक नहीं है। राजद को जनता सबक सिखाएगी।

केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, "बिहार की जनता को लोकतंत्र पर विश्वास है। भारत की व्यवस्था लोकतांत्रिक है। संविधान ने भी लोकतंत्र की भावना दी है। भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। दूसरी ओर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का परिवार परिवारतंत्र में जीने के लिए मजबूर है। आगे भी जो कोई अध्यक्ष पद के लिए नामित होगा, वह परिवार से बाहर नहीं जा सकता।"

उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र के सच्चे पुजारी राजद में नहीं रह सकते। इधर, ईरान से भारत के नागरिकों की वापसी पर उन्होंने कहा कि जब से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से मुसीबत में फंसे लोगों को वापस लाने का कार्य करते आ रहे हैं। चाहे वह कोरोना का काल हो या दो देशों के बीच युद्ध का। यहाँ तक कि जो देश सक्षम नहीं हैं, उनके नागरिक भी भारत का तिरंगा लेकर वापस लौटे हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में परिवारवाद एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। ऐसे में, पार्टी की आंतरिक राजनीति और जनता की अपेक्षाएँ, दोनों को समझना आवश्यक है।
NationPress
24/06/2025

Frequently Asked Questions

राजद का अध्यक्ष बनने का क्या मतलब है?
यह पार्टी की आंतरिक शक्ति और नेतृत्व को दर्शाता है।
भाजपा के नेता ने लालू यादव पर क्या कहा?
उन्होंने कहा कि लालू यादव ने राजद की 'तेरहवीं' कर दी है।
लोकतंत्र में परिवारवाद का क्या महत्व है?
यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ माना जाता है।
लालू यादव की वापसी से क्या बदलाव आएगा?
यह बिहार की राजनीति में परिवारवाद को और बढ़ावा दे सकता है।
नित्यानंद राय के बयान का प्रभाव क्या होगा?
यह राजद और भाजपा के बीच की राजनीतिक खाई को और बढ़ा सकता है।