क्या रोहिणी आचार्य के पोस्ट पर आरपी सिंह का कहना सही है कि सत्ता में वापसी का रास्ता नहीं दिखा तो राजद में छिड़ी जंग?
सारांश
Key Takeaways
- राजद में अंदरूनी कलह बढ़ रही है।
- आरपी सिंह ने रोहिणी आचार्य के घटनाक्रम पर टिप्पणी की है।
- बिहार में एनडीए की जीत और राजद की हार का प्रभाव।
- फारूक अब्दुल्ला के बयान से राजनीतिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।
- भ्रष्टाचार और परिवारवाद का राजनीति में प्रभाव।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के वरिष्ठ नेता आरपी सिंह ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से दूरी बनाने पर कहा कि जब सत्ता में वापसी का कोई रास्ता नहीं दिखता, तब वे आपस में ही लड़ने लगते हैं।
रोहिणी ने शनिवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए राजनीति से दूरी बनाने की जानकारी शेयर की थी। रविवार को उन्होंने एक और पोस्ट में दावा किया कि उन्हें चप्पल से पीटने की कोशिश की गई और गालियां दी गईं।
आरपी सिंह ने कहा कि यह एक सामान्य स्थिति है और प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि अंदरूनी कलह होगी। वंशवादी पार्टियों का यही चरित्र है। ये सभी केवल भ्रष्टाचार में लिप्त होने के लिए एकजुट हुए थे। अब जब वे सत्ता से बाहर हैं और वापसी का कोई रास्ता नहीं देख रहे हैं तो वे आपस में ही लड़ने लगे हैं।
फारूक अब्दुल्ला के पाकिस्तान को लेकर दिए बयान पर आरपी सिंह ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला को शायद यह पता नहीं कि भारत सरकार की स्पष्ट नीति है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। अगर उन्हें पाकिस्तान से इतना लगाव है, तो उन्हें जाकर पाकिस्तान को समझाना चाहिए कि वे आतंकवाद को बंद करें। तभी भारत से बातचीत का सिलसिला शुरू हो सकता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद फैलाने का प्रयास करेंगे तो जवाब भी करारा मिलेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव में 202 सीट जीतकर एनडीए ने शानदार वापसी की। इस चुनाव में राजद को करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा ने 89 सीटें जीतकर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि जदयू को 85 सीटें मिलीं। राजद को केवल 25 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है।
चुनाव परिणामों के बाद रोहिणी आचार्य द्वारा परिवार पर लगाए गए आरोपों ने बिहार से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में चर्चाएं तेज कर दी हैं।