क्या पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के आरपीएफ ने 21 लोगों को बचाने में सफलता पाई?

सारांश
Key Takeaways
- आरपीएफ ने 21 लोगों को बचाया, जिनमें 19 नाबालिग शामिल हैं।
- यह अभियान 18 से 23 सितंबर के बीच चलाया गया।
- सभी बचाए गए व्यक्तियों को चाइल्डलाइन अधिकारियों को सौंपा गया।
- महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए 'मेरी सहेली' पहल लागू की गई है।
गुवाहाटी, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने छह दिनों में अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न रेलवे स्टेशनों से 19 नाबालिगों सहित 21 लोगों को बचाया है। यह जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी।
एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि असुरक्षित यात्रियों की सुरक्षा और मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के दृढ़ प्रयास में एनएफआर के आरपीएफ ने 18 से 23 सितंबर की अवधि के दौरान उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
उन्होंने बताया कि छह दिनों (18 से 23 सितंबर) की अवधि के दौरान एनएफआर के विभिन्न रेलवे स्टेशनों से आरपीएफ द्वारा 19 नाबालिगों सहित कुल 21 लोगों को बचाया गया।
सीपीआरओ ने बताया कि सभी बचाए गए व्यक्तियों को आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए चाइल्ड लाइन अधिकारियों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), उनके माता-पिता और स्थानीय पुलिस को सुरक्षित रूप से सौंप दिया गया।
सीपीआरओ शर्मा के मुताबिक, 18 और 19 सितंबर को अलीपुरद्वार (उत्तर बंगाल) और चपरमुख (असम का नागांव जिला) की आरपीएफ टीमों ने बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया। इन अभियानों के दौरान कुल तीन भागे हुए नाबालिगों को सफलतापूर्वक बचाया गया।
सभी बचाए गए बच्चों को बाद में सुरक्षित अभिरक्षा और आगे की देखभाल के लिए नामित चाइल्डलाइन अधिकारियों को सौंप दिया गया।
20 और 21 सितंबर को बारसोई, न्यू कूचबिहार, कामाख्या, न्यू जलपाईगुड़ी और चापरमुख की आरपीएफ टीमों ने बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया।
इन अभियानों के दौरान, एक लड़के और दो बेसहारा नाबालिग बच्चों सहित कुल आठ भगोड़े नाबालिगों को सफलतापूर्वक बचाया गया।
सभी बचाए गए बच्चों को बाद में सुरक्षित अभिरक्षा और आगे की देखभाल के लिए नामित चाइल्डलाइन अधिकारियों को सौंप दिया गया।
इसी प्रकार, 22 और 23 सितंबर को, लुमडिंग और किशनगंज की आरपीएफ टीमों ने लुमडिंग और किशनगंज रेलवे स्टेशनों पर बचाव अभियान चलाया।
इन अभियानों के दौरान एक लड़की सहित कुल छह भगोड़े नाबालिगों को बचाया गया। सभी बचाए गए बच्चों को बाद में सुरक्षित अभिरक्षा और आगे की देखभाल के लिए नामित चाइल्डलाइन अधिकारियों को सौंप दिया गया।
'मेरी सहेली' पहल के तहत जो महिला यात्रियों, विशेष रूप से अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण पर केंद्रित है। आरपीएफ-समर्पित महिला दस्ते लगातार सक्रिय और सतर्क रहते हैं।
शर्मा ने कहा कि उनके निरंतर प्रयासों से एनएफआर में असंख्य महिला यात्रियों के लिए एक सुरक्षित यात्रा वातावरण सुनिश्चित हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि एनएफआर का आरपीएफ समय पर हस्तक्षेप, सतर्क गश्त और महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा पर विशेष जोर देते हुए यात्री-हितैषी उपायों के माध्यम से यात्री सुरक्षा बढ़ाने के अपने मिशन में अडिग है। एनएफआर पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल के सात जिलों तथा उत्तरी बिहार के पांच जिलों में कार्यरत है।