क्या मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली ही मजबूत सुरक्षा प्रणाली होती है: एस जयशंकर?
सारांश
Key Takeaways
- मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली आवश्यक है
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग का महत्व
- ग्लोबल साउथ की आवाज को महत्व देना
- बायोलॉजिकल खतरे की पहचान
- स्वास्थ्य और सुरक्षा का आपसी संबंध
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बायोलॉजिकल वेपन्स कन्वेंशन (बीडब्लूसी) के 50 साल पूरे होने के अवसर पर एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस मौके पर उन्होंने बताया कि भारत को दुनिया की फार्मेसी के रूप में पहचाना जाता है। हालांकि, स्वास्थ्य और सुरक्षा के मुद्दे अलग-अलग प्रतीत हो सकते हैं, लेकिन वास्तव में, ये एक-दूसरे को मजबूत करते हैं। मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली ही मजबूत सुरक्षा प्रणाली होती है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "हम बीडब्ल्यूसी की आधी सदी का उत्सव मना रहे हैं। जैसा कि डीआरडीओ के चेयरमैन ने कहा, यह पहली वैश्विक संधि है, जिसने विनाशक हथियारों की एक पूरी श्रेणी को गैर-कानूनी घोषित किया। बीडब्ल्यूसी ने, जो एक सदी पहले के जिनेवा प्रोटोकॉल पर आधारित है, एक स्पष्ट नैतिक और कानूनी दिशा निर्धारित की कि बीमारी को कभी भी एक हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का माहौल और भी अनिश्चित हो गया है। विज्ञान और तकनीक में तेज विकास के कारण एडवांस्ड जैवतकनीकी उपकरणों की उपलब्धता और वहनीयता बढ़ी है, जो महामारी के दौरान नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों के लिए सीखने का एक बड़ा अवसर है।
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि कोई भी जीव वैज्ञानिक खतरा चाहे वह प्राकृतिक हो, आकस्मिक हो, या जानबूझकर हो, वह तेजी से बढ़ता है और सिस्टम पर हावी हो सकता है। जो सिस्टम प्राकृतिक विस्फोटों का पता लगाते हैं, वे जानबूझकर होने वाले विस्फोट का मुकाबला करने में भी मदद करते हैं। मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली ही मजबूत सुरक्षा प्रणाली होती है।
भारत के विदेश मंत्री ने कहा, "कोई भी देश ऐसे खतरों का सामना अकेले नहीं कर सकता है। इसका कोई एक हल नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सहयोग इसके निकटतम है।" उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ को आज की चर्चा का केंद्र होना चाहिए, क्योंकि कई देशों में खराब स्वास्थ्य सेवाएं और सीमित संसाधन हैं।
एस जयशंकर ने कहा कि भारत इस जिम्मेदारी को समझता है और बीडब्ल्यूसी को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले दो दशकों में, हमने जन स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स, टीके और जैवविज्ञान में मजबूत क्षमता विकसित की है। यही कारण है कि भारत को दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है।