क्या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका एमएसएमई के विकास में महत्वपूर्ण है? : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल
सारांश
Key Takeaways
- पीयूष गोयल ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
- एमएसएमई को मिलने वाला कर्ज हर साल औसतन 14 प्रतिशत बढ़ा है।
- सरकार ने मुद्रा लोन योजना और पीएम स्वनिधि योजना जैसी योजनाएँ शुरू की हैं।
- भारत को 2047 तक 30–35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य है।
- कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने एमएसएमई लोन की गारंटी दी।
नई दिल्ली, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) अब अत्यधिक मजबूत और प्रतिस्पर्धी बन चुके हैं, और ये देश की आर्थिक प्रगति में निजी और विदेशी बैंकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि एमएसएमई बैंकिंग एक्सीलेंस अवॉर्ड्स कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को समय पर और पर्याप्त कर्ज देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में एमएसएमई को मिलने वाला कर्ज हर साल औसतन 14 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, और यह भी कहा कि भारत द्वारा विभिन्न देशों के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से एमएसएमई क्षेत्र को बड़ा लाभ मिलेगा।
मंत्री ने सभी संबंधित लोगों से आग्रह किया कि वे मिलकर एफटीए से मिलने वाले मौकों का पूरा लाभ उठाएं और दो देशों के बीच व्यापार को दोगुना, तिगुना और चौगुना करने का लक्ष्य रखें।
कर्ज को आसान बनाने के लिए सरकार की कई योजनाओं का जिक्र करते हुए मंत्री ने मुद्रा लोन योजना (पीएमएमवाई) का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत लगभग 70 प्रतिशत लोन महिलाओं को दिए गए और इसमें किसी गारंटी की आवश्यकता नहीं थी।
उन्होंने पीएम स्वनिधि योजना का भी जिक्र किया, जिसमें पहले 10,000 रुपए का लोन दिया गया, और बाद में सही तरीके से किस्त चुकाने पर यह राशि 20,000 रुपए और 50,000 रुपए तक बढ़ाई गई। इससे छोटे दुकानदार और रेहड़ी-पटरी वाले साहूकारों से कर्ज लेने से बच गए।
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत को 2047 तक 30–35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर माना जा रहा है, जो कि भारत के लिए आठ गुना विकास का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष बैंकों ने लगभग 3 लाख करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। इससे यह सिद्ध होता है कि बैंक ईमानदार लोगों को कर्ज देने में सक्षम हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने एमएसएमई लोन की गारंटी खुद ली, जिससे बिना किसी अतिरिक्त गारंटी के कर्ज मिल सका।
उन्होंने बैंकों से उदारतापूर्वक और जिम्मेदारी से कर्ज देने, लोन मंजूरी की प्रक्रिया को तेज और स्पष्ट रखने, और एमएसएमई को पूंजी और सही मार्गदर्शन देने का अनुरोध किया, ताकि वे सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठा सकें।