क्या बीमारी में सबसे बड़ी दवा सही आहार है? आयुर्वेद से जानें रोगी का आदर्श डाइट प्लान
सारांश
Key Takeaways
- मूंग दाल और गुनगुना पानी रोगी के लिए सर्वोत्तम विकल्प हैं।
- फलों में सेब, पपीता और चीकू शामिल करें।
- देसी घी ताकत और ऊर्जा बढ़ाता है।
- आहार का समय और गुणवत्ता महत्वपूर्ण है।
- डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य है।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। चाहे सर्दी का मौसम हो या कोई भी बीमारी, रोगीआहार जो न केवल पेट पर बोझ न डाले बल्कि जल्दी पचे और शक्ति भी प्रदान करे। रोगियों के खानपान के बारे में आयुर्वेद में विस्तृत जानकारी उपलब्ध है।
आयुर्वेद की चरक संहिता में कहा गया है, 'आहार ही सर्वोत्तम औषधि है'। इसका अर्थ है कि सही आहार ही सबसे सुरक्षित और प्रभावशाली दवा है। जब पाचन शक्ति कमजोर होती है, तब भारी, ठंडा या ज्यादा मसालेदार भोजन देने से रोगी की स्थिति और बिगड़ सकती है। इसलिए आयुर्वेद कुछ ऐसे हल्के और गुणकारी आहार सुझाता है, जो रोगी के लिए रामबाण साबित होते हैं।
पहला और सबसे अच्छा विकल्प मूंग दाल है। आयुर्वेद इसे त्रिदोषशामक, शीतल और सुपाच्य मानता है। बुखार, उल्टी, दस्त या कमजोरी के समय, पतली मूंग दाल का पानी या हल्की खिचड़ी सबसे सुरक्षित भोजन है और यह रोगी को ऊर्जा भी प्रदान करता है। इसी तरह, चावल और मूंग की खिचड़ी में आधा चम्मच देसी घी डालकर देने से शरीर की मरम्मत तेजी से होती है और पाचन क्रिया भी सही रहती है।
गुनगुना पानी हमेशा प्राथमिक उपचार होता है, यह कफ को पतला करता है, पेट की गैस और थकान को दूर करता है, और मेटाबॉलिज्म को सक्रिय रखता है। डिहाइड्रेशन या बुखार के दौरान, नारियल पानी एक बेहतरीन इलेक्ट्रोलाइट है, जो खोए हुए मिनरल्स की तुरंत रिकवरी करता है। रोगी को भूख न लगने या पेट भारी होने पर हल्का नमक और भुना जीरा डालकर मठ्ठा या छाछ पिलाना चाहिए, यह अग्नि बढ़ाता है और आंतों की सूजन को कम करता है।
फलों में सेब, पपीता और चीको रोगी के लिए सबसे सुरक्षित होते हैं, क्योंकि ये हल्के होते हैं और इम्यूनिटी बढ़ाते हैं। खट्टे फल कुछ समस्याओं में नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए सावधानी बरतें। सर्दी-खांसी और बदन दर्द में अदरक-लौंग, तुलसी का काढ़ा और गले की खराश में गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच शहद बेहद प्रभावी होते हैं।
देसी घी ताकत बढ़ाने के साथ-साथ बुखार के बाद की कमजोरी को दूर करता है। सब्जियों या दाल का साफ, पतला सूप पोषण और हाइड्रेशन दोनों प्रदान करता है।
आयुर्वेद का मूल मंत्र है, 'हल्का खाओ, गर्म खाओ, सुपाच्य खाओ और समय पर खाओ।' भोजन से संबंधित साधारण नियमों का पालन करने से रोगी की रिकवरी तेजी से होती है। हालाँकि, भोजन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।