क्या सैन्य धरोहर का महोत्सव भारत की सैन्य विरासत को सुदृढ़ करने का प्रयास है?

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क्या सैन्य धरोहर का महोत्सव भारत की सैन्य विरासत को सुदृढ़ करने का प्रयास है?

सारांश

भारत की सैन्य विरासत को सुदृढ़ करने के लिए आयोजित इस महोत्सव में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से लेकर आम जनता तक की भागीदारी रही। जानिए इस महोत्सव में क्या खास रहा और किस तरह से यह हमारी सैन्य धरोहर को बढ़ावा दे रहा है।

Key Takeaways

  • भारत की सैन्य विरासत की प्रदर्शनी
  • वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और आम जनता की भागीदारी
  • सेक्युरिटी मुद्दों पर गहन चर्चा
  • नई पुस्तकों का विमोचन
  • सैन्य बैंड की प्रस्तुति

नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना के शौर्य, विरासत और ऑपरेशंस पर रक्षा विशेषज्ञों ने गहन मंथन किया है। यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) ने नई दिल्ली परिसर में तीसरे वार्षिक इंडियन मिलिटरी हेरिटेज फेस्टिवल का आयोजन किया। इस दो दिवसीय महोत्सव में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, नीति निर्माताओं, कूटनीतिज्ञों, शिक्षाविदों, लेखकों, थिंक-टैंकों, उद्योग प्रतिनिधियों और आम जनता की व्यापक भागीदारी देखने को मिली।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की उपस्थिति में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कार्यक्रम का आरंभ किया। महोत्सव ने भारत की समृद्ध सैन्य विरासत को प्रदर्शित करने, समकालीन रणनीतिक एवं सुरक्षा मुद्दों पर संवाद को बढ़ावा देने और रक्षा क्षेत्र में उभरती नई अवधारणाओं को सामने लाने का मंच प्रदान किया। इस वर्ष के संस्करण में लेफ्टिनेंट कर्नल (से.नि.) अरुल राज की प्रसिद्ध सैन्य पेंटिंग्स की प्रदर्शनी विशेष रूप से सराही गई। साथ ही तीन महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि तथा संभाजी राजे छत्रपति सहित कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। आयोजन के पहले दिन रणनीति, सुरक्षाविदेश नीति पर गहन चर्चा हुई। पहले दिन के सत्रों में कई प्रमुख विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। यहां इस विषय पर भी चर्चा हुई कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उत्प्रेरक है। इसके अलावा भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की नींव, भविष्य के संघर्ष और रणनीतिक क्षितिज, टेक्नोलॉजी एंड स्ट्रैटेजी: एडॉप्टिंग वॉरफेयर फॉर द फ्यूचर पर भी फोकस किया गया।

दूसरे दिन सैन्य नेतृत्व, इतिहास और समकालीन मुद्दे चर्चा का विषय रहे। यहां सैन्य इतिहास, नेतृत्व, क्षेत्रीय राजनीति और समकालीन चुनौतियों पर केंद्रित चर्चा की गई। चर्चा के प्रमुख विषय ग्रेट इंडियन मिलिटरी लीडर्स एंड मिलिटरी सिस्टम्स, मिलिटरी बायोग्राफीज, तिब्बत पर टकराव, असम की आधुनिक यात्रा रहे। इसके अलावा बीएसएफ और बांग्लादेश1965 भारत–पाकिस्तान युद्ध से प्राप्त महत्वपूर्ण सीखें जैसे विषय भी चर्चा का विषय रहे।

अन्य चर्चाओं में रायगढ़ में विरासत संरक्षण, सशस्त्र बलों में महिलाओं पर आए ऐतिहासिक न्यायिक निर्णय, एशियाई सामरिक चिंतन तथा ऐतिहासिक स्मृति को संरक्षित करने में फिक्शन की भूमिका शामिल थे। महोत्सव का समापन सीडीएस जनरल अनिल चौहान तथा चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ एयर मार्शल अशुतोष दीक्षित के संबोधनों, नई पुस्तकों के विमोचन और सैन्य बैंड की प्रस्तुति के साथ हुआ।

यह महोत्सव 2023 में मानेकशॉ सेंटर से प्रारंभ हुआ था। 2025 का यह संस्करण अपनी परंपरा को और आगे बढ़ाते हुए भारत की सैन्य विरासत का उत्सव मनाने और इसे जन-मानस तक पहुंचाने के एक प्रमुख राष्ट्रीय मंच के रूप में और सुदृढ़ होकर उभरा है।

Point of View

बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनता है। यह आवश्यक है कि हम अपनी सैन्य धरोहर को संजोएं और उसे आगे बढ़ाएं।
NationPress
16/11/2025

Frequently Asked Questions

इस महोत्सव का उद्देश्य क्या है?
इस महोत्सव का उद्देश्य भारत की सैन्य विरासत को प्रदर्शित करना और समकालीन सुरक्षा मुद्दों पर संवाद को बढ़ावा देना है।
कौन-कौन से विशिष्ट अतिथि इस महोत्सव में शामिल हुए थे?
इस महोत्सव में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि और संभाजी राजे छत्रपति जैसे कई विशिष्ट अतिथि शामिल हुए थे।
इस महोत्सव में कौन-कौन से विषयों पर चर्चा हुई?
इस महोत्सव में रणनीति, सुरक्षा, और इतिहास जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।
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