क्या सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हमारा काम स्थायी है?: सैयद सदातुल्लाह हुसैनी
सारांश
Key Takeaways
- सांप्रदायिक सद्भाव का महत्व
- महिलाओं की भूमिका
- संगठित प्रयासों की आवश्यकता
- धर्मों के बीच संवाद
- समाज में निस्वार्थ सेवा की आवश्यकता
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के ‘कम्युनल हार्मनी डिपार्टमेंट’ ने यहाँ अपने मुख्यालय में दो दिवसीय ऑल इंडिया कम्युनल हार्मनी कोऑर्डिनेटर्स मीट का आयोजन किया, जिसमें देश के लगभग 20 राज्यों से जमीनी स्तर पर सांप्रदायिक सद्भाव के लिए काम करने वाले महिलाओं और पुरुषों ने भाग लिया।
इस मीटिंग का उद्देश्य विभिन्न राज्यों में सांप्रदायिक सद्भाव की परिस्थितियों को समझना, अब तक की गई पहलों की समीक्षा करना और भविष्य के लिए दिशा-निर्देश स्थापित करना था।
इस अवसर पर जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हमारा कार्य सामयिक नहीं, बल्कि स्थायी है। इस्लाम का आधार ही लोगों के संबंधों को सुधारना और उन्हें सही मार्गदर्शन देना है। कुरआन में इस पर विशेष बल दिया गया है, और अल्लाह के पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल.) ने अपनी पूरी ज़िंदगी इसी दिशा में प्रयास किए।
उन्होंने आगे कहा कि इस कार्य को अब व्यक्तिगत प्रयास से आगे बढ़ाकर संगठित ढंग से करने की आवश्यकता है, जिससे इसे एक मजबूत बुनियाद मिलेगी।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के महासचिव टी आरिफ अली ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हमारी कोशिशें किसी परिस्थिति के दबाव का परिणाम नहीं हैं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी हैं, और यह हमेशा जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की नीति का एक हिस्सा रहा है।
उन्होंने कहा कि जैसे अल्लाह की इस दुनिया में हर चीज में सद्भाव है, वैसे ही इंसानों के बीच भी सद्भाव की आवश्यकता है।
इस अवसर पर स्वामी सर्वलोक आनंदजी महाराज ने कम्युनल सद्भाव के लिए विभिन्न धर्मों के बीच संवाद के महत्व पर चर्चा की और लोगों से अपने और दूसरों के विचारों को समझने और उनका सम्मान करने की अपील की।
वहीं ज्ञानी मंगल सिंहजी ने सभी समुदायों के बीच पुल बनाने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इसका सबसे प्रभावी तरीका लोगों की निस्वार्थ सेवा करना है।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की राष्ट्रीय सचिव शाइस्ता रिफत ने सांप्रदायिक सद्भावसांप्रदायिक सद्भाव में अपनी भूमिका निभानी चाहिए और देश को उन्हें इस मामले में अधिक से अधिक अवसर देने चाहिए।