क्या नेपाल संकट के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है? : बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी

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क्या नेपाल संकट के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है? : बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी

सारांश

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने नेपाल में चल रही अराजकता के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि यदि नेपाल भारत का हिस्सा होता, तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। जानिए इस बयानी पर राजनीतिक प्रतिक्रिया और नेपाल के ऐतिहासिक संदर्भ के बारे में।

Key Takeaways

  • नेपाल में जारी अराजकता
  • कांग्रेस पार्टी पर आरोप
  • राजनीतिक स्थिति का गंभीर होना
  • सम्राट चौधरी की टिप्पणियाँ
  • राजनीतिक इतिहास का संदर्भ

पटना, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में चल रही अराजकता के बीच, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बुधवार को पड़ोसी देश की स्थिति के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया।

पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "नेपाल में आज की अराजकता सिर्फ कांग्रेस पार्टी की गलतियों का परिणाम है। यदि नेपाल भारत का हिस्सा होता, तो ऐसी उथल-पुथल नहीं होती। कांग्रेस ने इन पड़ोसी देशों को अलग किया। अगर नेपाल भारत का हिस्सा होता, तो वह एक शांतिपूर्ण और समृद्ध राष्ट्र होता। यही बात पाकिस्तान पर भी लागू होती है।"

मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद, काठमांडू सहित पूरे देश में जेन जेड के नेतृत्व में हिंसक विरोध प्रदर्शन फैलने के कारण नेपाल एक गहरे राजनीतिक संकट में फंस गया है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों और कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गया, जो बांग्लादेश में हाल ही में हुई अशांति की याद दिलाता है।

प्रदर्शनकारियों ने संसद, प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, पूर्व प्रधानमंत्रियों और स्वयं ओली के आवासों पर हमला किया। कई सरकारी इमारतों, स्कूलों और मंत्रियों के घरों में आग लगा दी गई और कई लोग घायल हुए हैं। इस स्थिति ने अधिकारियों को त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे हवाई यातायात बाधित हो गया।

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की टिप्पणी ने नया बहस छेड़ दिया है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' के अनुसार, नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने एक बार नेपाल का भारत में विलय करने का प्रस्ताव रखा था।

1940 के दशक के अंत में, चीन की साम्यवादी क्रांति और 1950 में तिब्बत पर उसके कब्जे से चिंतित, राजा त्रिभुवन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से विलय का अनुरोध किया। हालांकि, नेहरू ने इस विचार को यह तर्क देते हुए अस्वीकार कर दिया कि नेपाल को एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक राष्ट्र बने रहना चाहिए।

उस समय, नेपाल राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। 1846 से शासन कर रही राणा शासन व्यवस्था 1951 में ध्वस्त हो गई, जिससे राजा त्रिभुवन के अधीन एक संवैधानिक राजतंत्र का मार्ग प्रशस्त हुआ।

Point of View

उसे केवल आरोप-प्रत्यारोप से नहीं सुलझाया जा सकता। सभी पक्षों को मिलकर कार्य करना होगा ताकि नेपाल में शांति और स्थिरता बहाल हो सके।
NationPress
10/09/2025

Frequently Asked Questions

नेपाल संकट का कारण क्या है?
नेपाल संकट का मुख्य कारण राजनीतिक अस्थिरता और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा है।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का क्या कहना है?
उन्होंने कांग्रेस पार्टी को नेपाल की स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
क्या नेपाल भारत का हिस्सा बनने का प्रस्ताव दिया गया था?
हाँ, नेपाल के राजा त्रिभुवन ने एक बार भारत में विलय का प्रस्ताव रखा था।