क्या संविधान संशोधन बिल देश को डिक्टेटरशिप की ओर ले जाने का प्रयास है?

सारांश
Key Takeaways
- संविधान संशोधन का उद्देश्य विवादित है।
- विपक्ष की आवाज़ को दबाने की कोशिशें हो रही हैं।
- हंगामा संसद में राजनीतिक विरोध का संकेत है।
- बिहार में वोटिंग प्रक्रिया में अनियमितताएँ हैं।
- लोकतंत्र की रक्षा के लिए चर्चा आवश्यक है।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन भी हंगामा जारी है। गुरुवार को लोकसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे आरंभ हुई, लेकिन हंगामे के कारण यह एक मिनट से ज्यादा नहीं चल पाई। लोकसभा स्पीकर ने कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। इस गतिरोध के लिए विपक्ष सरकार को जिम्मेदार मान रहा है।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, "संविधान संशोधन के नाम पर सरकार लोकतंत्र की हत्या करना चाहती है और संविधानमुख्यमंत्रियों का खात्मा करना चाहती है। क्या छोटे दलों से बने मुख्यमंत्रियों को खत्म कर देंगे?"
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के इस बयान पर कि "सत्ता पक्ष चर्चा के लिए तैयार है" इमरान मसूद ने कहा कि विपक्ष को संसद में बोलने का मौका नहीं दिया जाता। उन्होंने लगातार गतिरोध के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
कांग्रेस सांसद सुखविंदर सिंह रंधावा ने संविधान संशोधन बिल को खतरनाक बताते हुए कहा कि यह देश को डिक्टेटरशिप की दिशा में ले जाने का प्रयास है, जो बिल्कुल गलत है। यह विपक्ष के लिए भी खतरे की घंटी है। सुखविंदर ने कहा कि सरकार संसद में चर्चा नहीं चाहती। केसी वेणुगोपाल की मांग को लोकसभा स्पीकर ने ठुकरा दिया।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा, "यदि सरकार खुद को एक हथियार के रूप में तैयार करना चाहती है, जिससे वह सभी विपक्षी दलों और नेताओं को खत्म कर दे, तो हम उनके साथ कैसे सहयोग कर सकते हैं?"
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का गलत इस्तेमाल देखने को मिला है। सरकार एक नया ढांचा तैयार कर रही है, जिसके तहत वह विपक्ष के नेताओं को डराने, धमकाने और ब्लैकमेल करने का कार्य करेगी।
सीपीआईएम सांसद राजाराम सिंह ने कहा कि सदन में हंगामे के पीछे सत्ताधारी दल की संवेदनहीनता है। उन्होंने कहा कि वोट लोकतंत्र का आधार है, जैसा भीमराव अंबेडकर ने कहा था।
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में वोट चोरी की कोशिश हो रही है। जो लोग गरीब हैं, उनका वोट काटा