क्या संस्कृति पर कुठाराघात होने पर लोग अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए खड़े होते हैं? - संजय निषाद
सारांश
Key Takeaways
- संस्कृति पर कुठाराघात होने पर लोगों का खड़ा होना आवश्यक है।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मुद्दे पर राजनीति का कोई औचित्य नहीं।
- समाजवादी पार्टी पर राजनीतिक लाभ के लिए अशांति फैलाने का आरोप।
- एसआईआर की तारीख बढ़ाना सकारात्मक कदम है।
- कानून और संविधान का पालन अनिवार्य है।
लखनऊ, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के बाबरी मस्जिद से जुड़े बयान पर सियासत का माहौल गरमा गया है। मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाने की घोषणा पर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री संजय निषाद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि अयोध्या के विवादित ढांचे को भाजपा ने नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की रक्षा करने वाले कारसेवकों ने तोड़ा था। निषाद ने कहा कि जब किसी की संस्कृति पर कुठाराघात होता है, तो लोग अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए खड़े होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला दे चुका है, तो इस मुद्दे पर राजनीति का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
संजय निषाद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी जानबूझकर अशांति फैलाने की कोशिश कर रही है और मुसलमानों की गरीबी को बढ़ाकर राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है। उन्होंने कहा कि इनका उद्देश्य केवल इतना है कि “मुसलमान बना रहे अंधा, उठाता रहे इनका झंडा, खाता रहे डंडा और चलता रहे इनका धंधा।”
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश कानून और संविधान से चलता है, किसी धार्मिक शरीयत कानून से नहीं। देश में अल्पसंख्यक मंत्रालय और संबंधित व्यवस्थाएं मौजूद हैं, इसलिए भ्रम फैलाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिविजन) को लेकर भी मंत्री संजय निषाद ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि भारत में विदेशियों के रहने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह जरूरी है कि वे उचित पंजीकरण और कानूनी प्रक्रिया के तहत रहें। चोरी-छुपे रहने का कोई औचित्य नहीं है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा एसआईआर की तारीख बढ़ाने की मांग पर उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है। पहले सपा प्रमुख एसआईआर का विरोध कर रहे थे, लेकिन अब इसका विस्तार मांगना स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि एसआईआर की तारीख बढ़नी चाहिए और वह इसका समर्थन करते हैं।