क्या संजय राउत ने कहा कि संतुष्ट पक्षों के बीच हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- मराठा आंदोलन पर संतोषजनक समझौता हुआ है।
- संजय राउत का बयान मीडिया के लिए महत्वपूर्ण है।
- मुख्यमंत्री का संयम राजनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
मुंबई, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर शिवसेना (यूबीटी) के नेता और सांसद संजय राउत ने कहा कि जब मांग करने वाले और उन्हें मानने वाले दोनों पक्ष संतुष्ट हैं, तो किसी तीसरे पक्ष का अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। संजय राउत ने शुक्रवार सुबह मुंबई में संवाददाताओं से बातचीत में यह बात कही।
हाल ही में, मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आजाद मैदान में भूख हड़ताल की थी, जिसमें सरकार ने उनकी अधिकांश मांगें मान लीं। इसके बाद मनोज जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी।
हालांकि, इस पर अब भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जब इस बारे में पूछा गया, तो संजय राउत ने कहा कि मीडिया को इस मुद्दे को अधिक तूल नहीं देना चाहिए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है और मराठा समुदाय के नेता मनोज जरांगे ने इसे स्वीकार कर लिया है।
राउत ने यह भी कहा, "मनोज जरांगे पाटिल अपने गांव लौट चुके हैं। मैंने उनका बयान सुना है। इस मामले में अनावश्यक तनाव पैदा करने का कोई कारण नहीं है। इससे महाराष्ट्र को नुकसान होगा। ओबीसी समुदाय भी संतुष्ट है कि उनकी मांगें मान ली गई हैं। ऐसे में हम इस मुद्दे पर और चर्चा करके माहौल को क्यों खराब करें? जो भी ऐसा कर रहा है, उसे महाराष्ट्र को नुकसान पहुंचाने का प्रयास नहीं करना चाहिए।"
संजय राउत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "फडणवीस का संयम सराहनीय है। उन्होंने कभी भी अपना संयम नहीं खोया।"
इस दौरान एकनाथ शिंदे ने कहा था कि राज ठाकरे के साथ उनकी दोस्ती घट गई है। इस पर संजय राउत ने कहा कि उनकी दोस्ती का मुख्य उद्देश्य यह था कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ न आएं। यह दोस्ती इसलिए शुरू हुई कि वे हमेशा अलग रहें। लेकिन अब यह स्थिति स्पष्ट हो गई है।