क्या 'वोट चोरी' के आरोपों पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का कांग्रेस को जवाब है?
सारांश
Key Takeaways
- निशिकांत दुबे ने कांग्रेस को गंभीर आरोपों का सामना करने के लिए चुनौती दी।
- कांग्रेस की मुस्लिम परस्त राजनीति पर सवाल उठाए गए।
- संसद में सुकुमार सेन और पीजे थॉमस के संदर्भ में महत्वपूर्ण बातें की गईं।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 'वोट चोरी' के विवाद पर कांग्रेस को एक सशक्त उत्तर दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस केवल अपने मुस्लिम वोट बैंक की चिंता करती है और आज भी मुस्लिम परस्त राजनीति में संलग्न है। यही कारण है कि वे एसआईआर और ईवीएम का विरोध कर रहे हैं।
बुधवार को संसद परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए, दुबे ने कांग्रेस को 'मूर्ख पार्टी' कहा। उन्होंने उल्लेख किया, 'संसद में मैंने सुकुमार सेन के बारे में बात की थी। 1953 में एक गवर्नर जनरल का एग्रीमेंट हुआ था, उस समय सूडान के मुख्य चुनाव आयुक्त बनाए जाते थे, जिन्हें गवर्नर कहा जाता था। इस पर कांग्रेस के लोग मुझसे कह रहे थे कि 'गवर्नर और एंबेसडर' के बीच का अंतर नहीं समझते। यही कांग्रेस की मूर्खता का प्रमाण है।'
दुबे ने 'वोट चोरी' के सवाल पर कहा, "आरके त्रिवेदी और एस रमा देवी को गवर्नर बनाया गया। सोनिया गांधी को बचाने के लिए एमएस गिल मंत्री बने। टीएन शेषन ने एक बार कहा था कि जब मैं कमेटी में जाता हूं तो 'स्टांप मुहर' बन जाता हूं।"
उन्होंने 2010 में मुख्य सतर्कता अधिकारी रहे पीजे थॉमस का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'पीजे थॉमस पर पामोलीन आयात घोटाला का आरोप था। सुषमा स्वराज ने इसका विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस नियुक्ति को खारिज किया था। इसी प्रकार एक सीबीआई डायरेक्टर थे, जिन्होंने 2जी में कांग्रेस को लाभ पहुँचाया, लेकिन यूपीएससी के सदस्य नहीं बन सके।'
भाजपा सांसद ने कहा, "कांग्रेस 'चोरों की सरदार' है, इसलिए कोई भी राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लेता।"
जिन्ना से लेकर सलमान रुश्दी तक कांग्रेस की नीति पर दुबे ने कहा, "जब कभी कांग्रेस के खिलाफ कोई बयान आता था, तो जवाहर लाल नेहरू सीधे जिन्ना को चिट्ठी लिखते थे। इसी तरह से, जब नेहरू जिन्ना के खिलाफ बोलते थे, तो जिन्ना भी उन्हें वापस लिखकर भेजते थे कि ऐसा क्यों बोल रहे हैं?"
एक लेखक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "नेहरू मेमोरियल से सोनिया गांधी ने सारी चिट्ठियां चुराईं। इस पर नेहरू मेमोरियल ने लगातार लिखा है, लेकिन उन्होंने चिट्ठियां वापस नहीं की हैं।"