क्या मानसून सत्र के अंतिम दिन भी लोकसभा-राज्यसभा में प्रश्नकाल नहीं हो सका?

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क्या मानसून सत्र के अंतिम दिन भी लोकसभा-राज्यसभा में प्रश्नकाल नहीं हो सका?

सारांश

नई दिल्ली में मानसून सत्र के अंतिम दिन संसद में हंगामा जारी रहा। विपक्ष ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा की मांग की, लेकिन प्रश्नकाल नहीं चल सका। जानें इस राजनीतिक उथल-पुथल के पीछे की कहानी।

Key Takeaways

  • मानसून सत्र का अंतिम दिन हंगामेदार रहा।
  • प्रश्नकाल नहीं चल सका, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई।
  • विपक्ष ने मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा की मांग की।
  • राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा जारी रहा।
  • उपसभापति ने नियमों के अनुसार नोटिस अस्वीकार कर दिए।

नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस) मानसून सत्र के अंतिम दिन भी संसद में हंगामा जारी रहा। गुरुवार को मौजूदा संसद सत्र का अंतिम दिन था, लेकिन हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों की कार्यवाही बाधित हुई।

राज्यसभा और लोकसभा में प्रश्नकाल नहीं चल सका और सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। ध्यान देने वाली बात है कि प्रशं काल के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद, सरकार के मंत्रियों से उनके विभाग संबंधी प्रश्न पूछते हैं। केंद्रीय मंत्रियों द्वारा इन प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है।

प्रश्नों के लिखित उत्तर भी सदन में प्रस्तुत किए जाते हैं। हालाँकि, मौजूदा सत्र के अधिकांश कार्य दिवसों में प्रशं काल हंगामे की भेंट चढ़ गया और सत्र के अंतिम दिन भी यही स्थिति रही। दरअसल, विपक्ष संसद में मतदाता सूची, विशेषकर बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा चाहता है। लेकिन आसन से इसकी मंजूरी नहीं मिली है।

राज्यसभा के उपसभापति का कहना है कि अदालत में विचाराधीन विषयों पर सदन में चर्चा की अनुमति नहीं है। गुरुवार को राज्यसभा में ऐसा ही हंगामा देखने को मिला। हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही प्रारंभ होने के थोड़ी देर बाद ही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण ने सदन की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। वास्तव में, राज्यसभा की कार्यवाही प्रारंभ होने के कुछ ही समय बाद उप सभापति ने बताया कि उन्हें 4 अलग-अलग विषयों पर चर्चा के लिए नोटिस प्राप्त हुए हैं। ये सभी नोटिस नियम संख्या 267 के अंतर्गत दिए गए थे। उप सभापति ने बताया कि उन्हें मिले सभी नोटिस नियमों के अनुसार नहीं थे, इसलिए उन्होंने इन्हें अस्वीकार कर दिया।

जब नोटिस अस्वीकार कर दिए गए, तो विपक्षी सांसद अपने स्थानों से उठकर नारेबाजी करने लगे। यह देखकर उप सभापति ने कहा कि आप नहीं चाहते कि शून्यकाल चले। इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। दूसरी ओर, लोकसभा में कार्यवाही प्रारंभ होते ही हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी सांसद बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन रिव्यू (एसआईआर) के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे थे।

जैसे ही सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई, विपक्षी सांसद अपनी मांग को लेकर अपनी सीटों से उठकर आगे आ गए और एसआईआर पर चर्चा के लिए नारेबाजी करने लगे। इस पर लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह इस सत्र का अंतिम दिन है, आप प्रश्नकाल चलने नहीं दे रहे हैं। इसके बाद उन्होंने हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि संसद में हंगामा लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, लेकिन इसके पीछे की वजहें भी गंभीर हैं। विपक्ष की चिंताओं को समझना और उन पर चर्चा करना आवश्यक है, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाया जा सके।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

मानसून सत्र का अंतिम दिन क्यों महत्वपूर्ण है?
यह दिन कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए होता है और आमतौर पर प्रश्नकाल का आयोजन होता है, जो संसद की कार्यवाही का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
राज्यसभा में हंगामे का कारण क्या था?
विपक्ष ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा की मांग की, जिसे आसन ने अस्वीकार कर दिया।