क्या सरकार और चुनाव आयोग को सांसदों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए? : अबू आजमी

सारांश
Key Takeaways
- अबू आजमी ने सरकार और चुनाव आयोग से सांसदों की मांगों पर ध्यान देने का आग्रह किया है।
- उन्होंने कहा कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी होने चाहिए।
- स्वतंत्रता दिवस पर मीट की दुकानें बंद करने का आदेश गलत है।
- भ्रष्टाचार पर अबू आजमी ने चिंता व्यक्त की है।
- मोहन भागवत के बयान का स्वागत किया गया है।
मुंबई, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। नई दिल्ली में इंडिया गठबंधन के सांसदों ने सोमवार को संसद से चुनाव आयोग कार्यालय तक मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित 'वोट चोरी' के खिलाफ एक विरोध मार्च निकाला। इस मुद्दे पर सियासत गर्म हो गई है। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी ने कहा कि केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को सांसदों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए।
अबू आजमी ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन में सत्ता पक्ष के भी सांसद शामिल हो सकते हैं। सरकार और चुनाव आयोग को सांसदों की मांगों पर ध्यान देना चाहिए। सांसदों को यह घोषणा करनी चाहिए कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, वे चुनाव नहीं होने देंगे। आम जनता को इस मुद्दे पर आगे आना चाहिए। चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होने चाहिए।
अबू आजमी ने स्वतंत्रता दिवस पर मुंबई के पास कल्याण-डोंबिवली में मीट की दुकानें बंद रखने के आदेश पर कहा कि मैं इस कानून की कड़ी निंदा करता हूं। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस है, जिस दिन लोगों को गुलामी से आजादी मिली थी। उसी दिन आप ऐसा कानून लाना चाहते हैं, जो लोगों की आजादी छीन ले? लोग क्या खाएंगे? अगर यह सही है, तो सभी होटल भी बंद कर दीजिए। छोटे-मोटे धंधे करने वाले गरीब लोग अपनी दुकानें बंद करने पर मजबूर हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि मंत्रियों से ज्यादा भ्रष्टाचार अधिकारियों में है। विभागों में बिना पैसे के कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती। अगर मैं खुलकर बोलूंगा तो बहुत से लोग नाराज हो जाएंगे। भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि मैं कहता हूं कि सरकार को खुलेआम फीस वसूलनी चाहिए।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर दिए गए बयान का अबू आजमी ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का हाथ भाजपा के सिर पर है, हाथ टाइट करने की जरूरत है। सरकार घोषणा कुछ करती है और धरातल पर होता कुछ अलग है।