क्या सऊदी अरब-पाकिस्तान का रक्षा समझौता भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच नया रक्षा समझौता हुआ है।
- समझौते के अनुसार, किसी भी देश पर हमला दोनों के खिलाफ माना जाएगा।
- यह समझौता क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
- भारत ने इस पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है।
- समझौता नाटो के सिद्धांतों पर आधारित है।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर की सूचना प्राप्त हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की हालिया रियाद यात्रा के दौरान इस समझौते पर औपचारिक मुहर लगी, जिस पर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाक प्रधानमंत्री ने हस्ताक्षर किए।
इस समझौते के तहत, यदि पाकिस्तान या सऊदी अरब में से किसी एक देश पर हमला होता है, तो इसे दोनों के खिलाफ हमला माना जाएगा, ठीक उसी तरह जैसे नाटो देशों के बीच होता है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि यह समझौता न केवल संयुक्त सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
बयान में यह भी कहा गया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के पहलुओं को विकसित करने और किसी भी आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करने के उद्देश्य से है।
समझौते में स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी भी देश के खिलाफ कोई भी आक्रामकता होती है, तो इसे दोनों के खिलाफ आक्रामकता माना जाएगा।
इसी बीच, भारत में विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, "हमने सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर की खबरें देखी हैं। सरकार को इस बात की जानकारी थी कि यह घटनाक्रम, जो दोनों देशों के बीच एक दीर्घकालिक समझौते को औपचारिक रूप देता है, विचाराधीन था। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर इस घटनाक्रम के प्रभावों का अध्ययन करेंगे। सरकार भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा और सभी क्षेत्रों में व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
दोनो देशों के बीच यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब हाल ही में इजरायल ने कतर में हमास नेताओं को निशाना बनाया था। इस घटना ने खाड़ी देशों में असुरक्षा की भावना को गहरा कर दिया है, खासकर उन देशों में जो दशकों से अमेरिका की सुरक्षा गारंटी पर निर्भर रहे हैं।