क्या सावन की शुरुआत पर उज्जैन, ओंकारेश्वर, मेरठ और देवघर में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ रही है?

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क्या सावन की शुरुआत पर उज्जैन, ओंकारेश्वर, मेरठ और देवघर में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ रही है?

सारांश

सावन मास का पहला दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। उज्जैन, खंडवा और देवघर जैसे पवित्र स्थलों पर लाखों भक्त भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचे हैं। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। इस माह भक्ति का यह उत्सव पूरे देश में जारी रहेगा।

Key Takeaways

  • सावन का पवित्र माह 30 दिनों तक चलता है।
  • श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं।
  • उज्जैन और ओंकारेश्वर में विशेष आरतियों का आयोजन किया जाता है।
  • लाखों भक्त जलाभिषेक के लिए एकत्रित होते हैं।
  • श्रावणी मेला 9 अगस्त को समाप्त होगा।

उज्जैन/खंडवा/देवघर, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सावन के पहले दिन देश भर के शिव मंदिरों में भक्ति का उत्साह अपने चरम पर है। उज्जैन, खंडवा और देवघर में लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए एकत्रित हुए हैं। मंदिरों में 'हर-हर महादेव' और 'बोल बम' के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक व्यवस्था की है।

मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रसिद्ध बाबा महाकाल के मंदिर में सावन के पहले दिन विशेष भस्मारती का आयोजन किया गया। सुबह तीन बजे मंदिर के दरवाजे खुलते ही भक्तों की लंबी कतारें लग गईं, जो देर रात 11 बजे शयन आरती तक चलती रहीं। भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक किया गया, और उन्हें भांग, चंदन, सूखे मेवों और फूलों से सजाया गया। रजत मुकुट, शेषनाग और पुष्पमाला से सजे भगवान को मिष्ठान का भोग अर्पित किया गया। 'जय महाकाल' के नारों से उज्जैन नगरी गूंज उठी। मंदिर समिति और प्रशासन ने दर्शन व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं।

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित चतुर्थ ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में भी सावन के पहले दिन हजारों श्रद्धालु पहुंचे। सुबह चार बजे से ही भक्तों ने मां नर्मदा में स्नान कर मन को पवित्र किया और बाबा ओंकार के दर्शन किए।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव दिनभर ब्रह्मांड में विचरण करते हैं, लेकिन रात में ओंकार पर्वत पर विश्राम करते हैं। इस कारण यहां शयन आरती का विशेष महत्व है। अनुमान है कि पहले दिन करीब 50,000 श्रद्धालु दर्शन के लिए आएंगे। मंदिर परिसर भोलेनाथ के जयकारों से गूंज रहा है। प्रशासन ने दर्शन, पार्किंग और सुरक्षा के लिए पुख्ता व्यवस्थाएं की हैं।

झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में सावन के पहले दिन से विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू हो गया है। लाखों कांवड़िए सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर बाबा बैद्यनाथ को अर्पित करने पहुंचे। मंदिर को फूलों से सजाया गया, और 'बोल बम' के नारों से माहौल भक्तिमय हो गया। श्री गणेश सत्संग मंडल, लिलवा हावड़ा के एक श्रद्धालु ने बताया कि उनकी 40 सदस्यीय टीम ने सुल्तानगंज से जल उठाकर जलाभिषेक किया।

उन्होंने बिहार और झारखंड प्रशासन की व्यवस्थाओं की सराहना की, लेकिन भीड़ नियंत्रण के लिए और बेहतर प्रबंध की मांग की। मेला 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन श्रावण पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा।

उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी सावन के पहले दिन मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। भगवान शिव के भक्त सुबह से ही शिवलिंग पर जल चढ़ाने और पूजा-अर्चना करने पहुंचे। सावन में सोमवार का व्रत और बेलपत्र अर्पित करने की परंपरा का विशेष महत्व है। मंदिरों में भक्ति का माहौल है और श्रद्धालु भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं।

सावन का यह पवित्र माह 30 दिनों तक चलेगा, और इस दौरान देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों का उत्साह इसी तरह बना रहेगा। प्रशासन ने सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए हैं, ताकि भक्त बिना किसी परेशानी के दर्शन और पूजा कर सकें।

Point of View

बल्कि समाज में एकता का भी प्रतीक है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

सावन का महीना क्यों महत्वपूर्ण है?
सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का विशेष समय होता है। इस दौरान श्रद्धालु जलाभिषेक और व्रत करते हैं।
उज्जैन में सावन के पहले दिन क्या विशेष आयोजन होते हैं?
उज्जैन में सावन के पहले दिन बाबा महाकाल के मंदिर में विशेष भस्मारती और जलाभिषेक का आयोजन किया जाता है।
ओंकारेश्वर में श्रद्धालुओं की संख्या कितनी होती है?
ओंकारेश्वर में सावन के पहले दिन लगभग 50,000 श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
श्रावणी मेला कब समाप्त होता है?
श्रावणी मेला 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन श्रावण पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा।
सावन में क्या विशेष पूजा विधि होती है?
सावन में सोमवार का व्रत और बेलपत्र अर्पित करने की परंपरा का विशेष महत्व है।