क्या सावन में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ये खास उपाय करना चाहिए?

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क्या सावन में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ये खास उपाय करना चाहिए?

सारांश

श्रावण मास में शिव की पूजा का विशेष महत्व है। जानिए सावन में किन खास उपायों से आप भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।

Key Takeaways

  • सावन में शिव की पूजा का विशेष महत्व है।
  • सोमवार का व्रत भगवान शिव के भक्तों के लिए अनिवार्य है।
  • सावन में दान का विशेष महत्व है।
  • गंगाजल और दूध से अभिषेक करना चाहिए।
  • भोलेनाथ की पूजा से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महादेव के प्रिय श्रावण मास का शुभारंभ यह शुक्रवार से हो रहा है, जिससे शिव भक्तों में उत्साह है। इस महीने में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व है। यह माह भगवान शिव की आराधना के लिए विशेषत: माना गया है।

श्रावण मास में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाना, बिल्व पत्र अर्पित करना और रुद्राभिषेक करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

'सावन सोमवार का व्रत' हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है, खासकर भगवान शिव के भक्तों के लिए। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और सोमवार का दिन उनके लिए विशेष प्रिय है।

मान्यता है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अविवाहित लड़कियों को मनपसंद वर और विवाहित महिलाओं को सुखद वैवाहिक जीवन और संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है।

सोमवार को भगवान शिव को गंगाजल, दूध, घी, शक्कर के साथ अबीर, इत्र, और अक्षत (चावल के साबूत दाने) अर्पित करें। इसके अतिरिक्त, चीनी और दूध समेत सफेद चीजों का दान करने का भी महत्व है। घर या मंदिर में रुद्राभिषेक का विशेष प्रावधान है।

भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें, गंगाजल और दूध से अभिषेक करें, और बिल्व पत्र, चंदन, अक्षत, फल और फूल चढ़ाएं। लेकिन एकादशी के दिन भगवान शिव को अक्षत नहीं चढ़ाना चाहिए।

भोलेनाथ की पूजा के साथ माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए। माता को सोलह श्रृंगार की वस्तुओं का अर्पण करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें, एवं दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें। इसके बाद 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें। व्रत के उपरांत, गरीबों, ब्राम्हणों और जरूरतमंदों को दान करना न भूलें।

उत्तर भारत में सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। वहीं, यह ध्यान देने योग्य है कि भारत के कुछ क्षेत्रों, जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गोवा में, अमांत कैलेंडर का पालन किया जाता है। इसलिए इन क्षेत्रों में सावन का महीना 25 जुलाई से प्रारंभ होगा और इसका समापन 23 अगस्त को होगा।

Point of View

बल्कि यह भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण परंपरा भी है। इस दौरान भक्तों का उत्साह और श्रद्धा अपने चरम पर होती है। भगवान शिव की पूजा के माध्यम से भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का महत्व क्या है?
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान उनकी पूजा से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
क्या सावन सोमवार का व्रत सभी भक्तों के लिए अनिवार्य है?
हां, सावन सोमवार का व्रत विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए अनिवार्य है, जो उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करने में मदद करता है।
सावन में किन चीजों का दान करना चाहिए?
सावन में भगवान शिव को गंगाजल, दूध, घी, शक्कर और सफेद चीजों का दान करना चाहिए।
भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए क्या विशेष उपाय हैं?
भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पूजा स्थल को साफ करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
सावन का महीना कब शुरू होता है?
उत्तर भारत में सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होता है।