क्या सावन शिवरात्रि पर शिवालयों में भक्तों का समागम हुआ?

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क्या सावन शिवरात्रि पर शिवालयों में भक्तों का समागम हुआ?

सारांश

सावन शिवरात्रि के अवसर पर देशभर में शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक और विशेष पूजा अर्चना की। हरिद्वार, वाराणसी और प्रयागराज जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर भक्तों की आस्था देखने को मिली। क्या आप जानते हैं कि इस दिन जल अर्पित करने का विशेष महत्व है?

Key Takeaways

  • सावन शिवरात्रि का धार्मिक महत्व
  • श्रद्धालुओं की विशाल संख्या
  • जलाभिषेक के लाभ
  • पवित्र स्थलों की सजावट
  • आस्था और भक्ति का संचार

नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सावन शिवरात्रि पर बुधवार को शिवालयों में विशाल संख्या में भक्तों का समागम हुआ है। देश के विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है। सावन महीने में आने वाली शिवरात्रि पर बाबा को जल अर्पित करने का विशेष महत्व होता है, इसी कारण बड़ी संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक और विशेष पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों में पहुंच रहे हैं।

हरिद्वार, वाराणसी और प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों पर जल चढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए हैं। 'बम-बम भोले' और 'हर-हर महादेव' के जयकारों से मंदिर गूंज रहे हैं।

हरिद्वार के कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों ने जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। मंदिर को आकर्षक तरीके से सजाया गया है, जहां शिवभक्त कतारों में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। भक्तों के लिए व्यवस्थित दर्शन की व्यवस्था की गई है। 'हर-हर महादेव' के जयकारों से हरिद्वार शिवमय बना हुआ है।

एक श्रद्धालु ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "भगवान शिव पर यदि एक लोटा गंगाजल भी अर्पित किया जाए, तो वह उसी से प्रसन्न हो जाते हैं। यहां शिवरात्रि पर दक्षेश्वर महादेव मंदिर में हम पूजा करने आए हैं। हमें यह अनुभव होता है कि कहीं न कहीं यहां भगवान शिव विराजमान हैं, जो सृष्टि का संचालन कर रहे हैं।"

हरिद्वार की तरह बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में लोग सुबह से मंदिरों में जलाभिषेक और पूजा-पाठ करने पहुंचे हैं। श्रद्धा भाव के साथ भक्त भगवान शिव को जल अर्पित करके सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं। वाराणसी में प्रशासन की व्यवस्था से भी भक्त खुश हैं।

एक महिला ने राष्ट्र प्रेस को बताया कि यहां व्यवस्था बहुत अच्छी है। यहां बड़ी संख्या में भक्त मौजूद हैं, लेकिन दर्शन बहुत अच्छे से हुए हैं। आजमगढ़ के रहने वाले अरुण सिंह ने कहा कि काशी की आस्था अपरंपार है। बहुत दिन से यहां आने की इच्छा थी। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करके सौभाग्य प्राप्त हुआ।

संगम नगरी प्रयागराज में सावन शिवरात्रि पर लोग पवित्र स्नान करने पहुंच रहे हैं। ब्रह्म मुहूर्त से श्रद्धालु गंगा मैया में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने और पवित्र स्नान करने के लिए दूर-दूर से संगम तट पहुंचे हैं। एक महिला ने कहा कि शिवरात्रि पर हमने यहां स्नान किया है। इसके बाद मंदिर में दर्शन पूजन करेंगे। हम भगवान से परिवार की सुख समृद्धि की कामना करेंगे।

गाजियाबाद का दूधेश्वरनाथ महादेव मंदिर भी आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। मंदिर के महंत के अनुसार, यह स्थान त्रेता युग से जुड़ा है और रावण के पिता विश्रवा ऋषि भी यहां साधना करने आते थे।

दूधेश्वरनाथ मठ महादेव मंदिर के महंत नारायण गिरी ने कहा कि गाजियाबाद का दूधेश्वरनाथ महादेव मंदिर आस्था, अध्यात्म और ऐतिहासिक महत्व का जीवंत उदाहरण बन चुका है। सुबह 4 बजे दूधेश्वरनाथ महादेव मंदिर के कपाट खुलते ही 'हर-हर महादेव' के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठा। सावन शिवरात्रि पर यहां विशेष श्रृंगार और आरती की गई।

Point of View

सावन शिवरात्रि का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता को भी दर्शाता है। जब भक्त एकत्र होते हैं और अपने इष्ट देवता की आराधना करते हैं, तब यह न केवल उन्हें आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि समाज में एकजुटता और सहिष्णुता का भी संदेश भेजता है।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

सावन शिवरात्रि का महत्व क्या है?
सावन शिवरात्रि का महत्व भगवान शिव की आराधना और जलाभिषेक के लिए विशेष होता है। इस दिन भक्त विशेष पूजा करते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
कौन से स्थानों पर सावन शिवरात्रि मनाई जाती है?
सावन शिवरात्रि देशभर के कई प्रसिद्ध स्थानों जैसे हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज आदि पर मनाई जाती है।
जलाभिषेक करने का तरीका क्या है?
जलाभिषेक करने के लिए भक्त गंगाजल या अन्य पवित्र जल को भगवान शिव पर अर्पित करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है।