क्या एसजीआरवाई योजना में एक करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी के दोषियों को 10 साल की कठोर सजा मिली?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।
- एसजीआरवाई योजना में धोखाधड़ी का मामला उजागर हुआ।
- दो आरोपियों को 10 साल की कठोर सजा दी गई।
- भ्रष्टाचार के मामलों में पारदर्शिता आवश्यक है।
- सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचाना जरूरी है।
लखनऊ, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए दो आरोपियों को 10 वर्षों की कठोर जेल और 55,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
यह मामला संपूरक ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) में एक करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी से संबंधित था।
सजा पाने वालों में तत्कालीन ग्राम प्रधान सत्य नारायण प्रसाद पटेल और उस समय के कोटेदार शाहनवाज आलम शामिल हैं। अदालत ने पाया कि इन दोनों ने सरकारी खजाने को बड़ा वित्तीय नुकसान पहुंचाया और अनुचित लाभ हासिल किया।
सीबीआई ने यह मामला 31 अक्टूबर 2008 को दर्ज किया था। यह केस पुलिस स्टेशन नरही, जिला बलिया के केस क्राइम संख्या 34/2006 से संबंधित था। जांच के दौरान पता चला कि कुल 172 आरोपियों पर सरकारी खजाने को 65 लाख रुपए नकद और 45.26 लाख रुपए मूल्य के खाद्यान्न का नुकसान पहुंचाने का आरोप था।
आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी और जालसाजी के माध्यम से स्वयं को अनुचित लाभ पहुंचाया। लंबी जांच के बाद सीबीआई ने 10 नवंबर 2010 को तीन व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। इनमें जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के तत्कालीन मुख्य वित्त एवं लेखा अधिकारी सत्येंद्र सिंह गंगवार, पूर्व ग्राम प्रधान सत्य नारायण प्रसाद पटेल और कोटेदार शाहनवाज आलम शामिल थे।
मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद अदालत ने पटेल और आलम को दोषी ठहराते हुए कठोर सजा सुनाई। वहीं, सबूतों के अभाव में अदालत ने सत्येंद्र सिंह गंगवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
यह निर्णय ग्रामीण विकास योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सीबीआई ने कहा है कि वह इस तरह के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में सख्त कार्रवाई जारी रखेगी ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंच सके।