क्या शनिदेव की कृपा से चमकती है किस्मत? शाम को दीपक जलाना न भूलें
सारांश
Key Takeaways
- शनिदेव की कृपा से किस्मत में सुधार होता है।
- हर शनिवार को दीपक जलाना शुभ होता है।
- साढ़ेसाती के दौरान व्रत रखना चाहिए।
- पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना महत्वपूर्ण है।
- 7 शनिवार का व्रत रखने से मुक्ति मिलती है।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि शनिवार को शाम 4 बजकर 37 मिनट तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि आरंभ होगी। इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में स्थित होंगे।
द्रिक पंचांग के अनुसार, शनिवार का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा, जबकि राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 40 मिनट से लेकर 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इस तिथि पर कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन वार के अनुसार शनिवार का व्रत रखा जा सकता है।
कई जातकों का मानना है कि शनिदेव से संबंधित धारणा गलत है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में यह बताया गया है कि शनि देव व्यक्ति को संघर्ष देकर सोने की तरह चमकाते हैं।
शनिदेव सूर्य देव और छाया के पुत्र हैं, इसलिए उन्हें छाया पुत्र भी कहा जाता है। जब शनि की साढ़े साती, ढैय्या या महादशा चलती है, तो व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे आर्थिक संकट, नौकरी में समस्या, मान-सम्मान में कमी और परिवार में कलह।
ऐसे में, शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। यह व्रत किसी भी माह के पहले शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है। मान्यता के अनुसार, 7 शनिवार का व्रत रखने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि पीपल के पेड़ में शनिदेव का वास होता है। इसलिए, हर शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे नकारात्मकता दूर होती है और शनिदेव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो जातक व्रत नहीं कर सकते, वे हर शनिवार शाम को दीपक जरूर जलाएं।