क्या ममता बनर्जी ने महिलाओं और सरकार को बगावत के लिए चेतावनी दी?
सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं को मतदाता सूची में नाम कटने पर लड़ने का आह्वान किया गया है।
- वीरेंद्र सिंह ने बगावत की चेतावनी दी है।
- बीएलओ पर दबाव डालने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
- नागरिकता के सवालों पर चुनाव आयोग को ध्यान देना चाहिए।
- राजनीतिक मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद वीरेंद्र सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने बगावत के संदर्भ में महिलाओं और सरकार को चेतावनी दी है।
गुरुवार को एक सभा में ममता बनर्जी ने महिलाओं से अपील की थी कि यदि उनके नाम मतदाता सूची से कटते हैं, तो उन्हें इसके खिलाफ लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए। इस पर वीरेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा, "यदि अत्याचार की सीमा बढ़ती है, तो उसका अंत बगावत होता है। ममता जी ने इस बगावत के बारे में महिलाओं और सरकार को सावधान किया है।"
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में वीरेंद्र सिंह ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों में एसआईआर की समयसीमा बढ़ाने के मुद्दे पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा, "एसएसआईआर की समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए, लेकिन जिस प्रकार से समय को कम किया गया है, उसने बीएलओ पर इतना दबाव बनाया कि कई ने आत्महत्या तक कर ली।"
उन्होंने आरोप लगाया कि कई बीएलओ ने अपने डाटा को पूर्ण करने के लिए बिना विजिट के लाखों मतदाताओं को सी-कैटेगरी में डाल दिया है। ऐसे में उन सी-कैटेगरी के मतदाताओं को सही कैसे किया जाएगा? यह एक बड़ा चैलेंज है।
उन्होंने आगे कहा, "हमने अपने सभी बीएलए को काम में लगाया है, लेकिन जल्दबाजी में बीएलओ ने मतदाताओं को सी-कैटेगरी में डाल दिया है। अब उन मतदाताओं को साबित करना होगा कि वे भारत के नागरिक हैं, जिसके लिए उन्हें कचहरी के चक्कर लगाना पड़ेंगे। उनकी नागरिकता पर सवाल खड़ा हो चुका है। यह मुद्दा चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस पर चुनाव आयोग को ध्यान देना चाहिए।"
इसी बीच, वीरेंद्र सिंह ने संसद परिसर में ई-सिगरेट पीते हुए टीएमसी सांसद सौगत रॉय