क्या कर्नाटक कांग्रेस में सभी शक्ति हथियाने में जुटे हैं: विधायक सी. एन. अश्वथ नारायण?
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस में आलाकमान का अभाव है।
- भाजपा विधायक ने पार्टी की अव्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
- सिद्धारमैया के फंड के उपयोग पर चिंता जताई गई है।
- कांग्रेस के विधायक अनुशासन में नहीं हैं।
- राजू कागे के बयान को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
बेंगलुरु, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के भाजपा विधायक सी. एन. अश्वथ नारायण ने शुक्रवार को कांग्रेस की राज्य इकाई की अव्यवस्था और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि हर राजनीतिक दल में किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक संपादित करने के लिए एक आलाकमान होना आवश्यक है, लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस में कोई आलाकमान नहीं है।
भाजपा विधायक ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि वर्तमान में कांग्रेस में शक्ति का बंटवारा नहीं है। यदि यह होता, तो आज ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती जैसा कि अब हो रहा है। भाजपा नेता ने इस बात का दावा किया कि कांग्रेस की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि पार्टी के विधायक शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों का पालन करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में यह उम्मीद करना कठिन है कि पार्टी राज्य के हित में कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्य शक्ति हासिल करने में लगे हुए हैं और इसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। यही कारण है कि पार्टी में अव्यवस्था की स्थिति बनी हुई है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की विशेष उड़ान पर भाजपा नेता सी. एन. अश्वथ नारायण ने कहा कि यह पूरी तरह से जनता के पैसे की बर्बादी है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में राज्य विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है। कई विभागों में धन की कमी है। ऐसी स्थिति में यह अत्यावश्यक है कि मुख्यमंत्री फंड का सही उपयोग करें, ताकि राज्य का विकास सुनिश्चित हो सके। यदि मुख्यमंत्री इसी तरह से फंड का दुरुपयोग करते रहे, तो भविष्य में स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
उन्होंने कहा कि इस तरह का कदम राज्य की जनता के हितों पर एक कुठाराघात है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस विधायक राजू कागे द्वारा अलग उत्तरी कर्नाटक राज्य की मांगा पर भाजपा नेता सी. एन. अश्वथ नारायण ने कहा कि मैं समझता हूं कि यदि ऐसा बयान कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता द्वारा दिया गया है, तो इसे मौजूदा सरकार को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। मेरी जानकारी के अनुसार, वे एक वरिष्ठ नेता हैं जिन्होंने हमेशा जनता के हितों को प्राथमिकता दी है, लेकिन यह दुख की बात है कि उन्हें कभी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से तरजीह नहीं दी गई है, जिसके वे हकदार हैं।