क्या चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर एसआईआर की समयसीमा बढ़ाई? : प्रियंका चतुर्वेदी
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर की समयसीमा बढ़ाई गई है।
- प्रियंका चतुर्वेदी ने प्रक्रिया को जल्दी पूरा करने की मांग की।
- भारतीय जनता पार्टी के लिए सपोर्ट सिस्टम पर चिंता व्यक्त की गई है।
- लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
- सुधा मूर्ति के अनिवार्य गीत की मांग पर भी उन्होंने अपनी राय दी।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना-यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने शुक्रवार को यह बताया कि चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए अनुरोध पर एसआईआर की समयसीमा बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। प्रियंका चतुर्वेदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी के लिए किसी भी प्रकार का सपोर्ट सिस्टम तैयार करना उचित नहीं है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "प्रक्रिया जारी थी और अंदरूनी दबाव के कारण बीएलओ का कार्य जारी था। यह समझना आवश्यक है कि इसमें शामिल लोग शिक्षक और सरकारी कर्मचारी हैं, और कई स्कूलों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, "उत्तर प्रदेश सरकार ने समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था, इसी कारण यह समय बढ़ाया गया है। मेरा मानना है कि यह प्रक्रिया सही और निष्पक्ष तरीके से जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए। किसी भी तरह से भारतीय जनता पार्टी के लिए सपोर्ट सिस्टम बनाना गलत होगा।"
इंडिगो संकट पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "सरकार विफल रही है। मोनोपॉली को लेकर बड़ी चिंताएं थीं, जिन्हें नजरअंदाज किया गया। डीजीसीए के अधिकारी बार-बार सीईओ को बुला रहे हैं, लेकिन इस स्थिति के बनने से पहले उन्हें जवाबदेही क्यों नहीं ली?"
शिवसेना-यूबीटी सांसद ने कहा कि लाखों यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है।
इसी बीच, राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति द्वारा स्कूलों में 'वंदे मातरम' गीत को अनिवार्य करने की मांग पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "जब भी सुधा मूर्ति संसद में बोलती हैं, तो देश के प्रति उनका गहरा प्यार और प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखती है। उन्होंने मैंडेट की मांग की है। मेरा मानना है कि देश के हर नागरिक और बच्चे को हमारे राष्ट्रीय गीत के बारे में ज्ञान होना चाहिए, उसे समझना चाहिए और उसी भावना से अपनाना चाहिए।"