क्या लोकसभा में ई-सिगरेट पीने का मामला गंभीर है?
सारांश
Key Takeaways
- ई-सिगरेट का उपयोग संसद में प्रतिबंधित है।
- अनुराग ठाकुर ने औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।
- संसद की गरिमा की रक्षा करना सभी सांसदों की जिम्मेदारी है।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा के अंदर ई-सिगरेट पीने के संदिग्ध मामले ने संसद में एक बड़ा विवाद उत्पन्न कर दिया है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने इस घटना को अत्यंत गंभीर बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष को औपचारिक शिकायत प्रस्तुत की है।
शिकायत में कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक सांसद ने सदन के भीतर खुल्ले आम ई-सिगरेट का उपयोग किया, जो न केवल संसदीय नियमों का उल्लंघन है बल्कि यह कानून के तहत भी अपराध है।
अनुराग ठाकुर के अनुसार, लोकसभा जैसी पवित्र संस्था, जिसे भारतीय लोकतंत्र का सैंक्टम सैंक्टोरम (सबसे पवित्र जगह) माना जाता है, में प्रतिबंधित पदार्थ और निषिद्ध उपकरण का उपयोग किसी भी स्थिति में सहनीय नहीं है। यह कृत्य संसदीय गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है और सदन की कार्यवाही की प्रतिष्ठा को कमजोर करता है।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि ई-सिगरेट और निकोटिन से संबंधित उत्पादों पर सरकार और संसद ने स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाया है। ऐसे में सदन के अंदर उनका उपयोग न केवल संसदीय अनुशासन को तोड़ता है, बल्कि यह देश के युवाओं के लिए गलत संदेश भी देता है। अनुराग ठाकुर ने इसे गंभीर विधिक और नैतिक उल्लंघन बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि इस घटना का त्वरित संज्ञान लिया जाए। सदन की उपयुक्त समिति या तंत्र के माध्यम से पूरे मामले की जांच कराई जाए और संबंधित सांसद के खिलाफ नियमों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। उनका उद्देश्य है कि भविष्य में कोई भी सदस्य सदन की मर्यादा का उल्लंघन करने का साहस न करे।
अनुराग ठाकुर ने यह भी कहा कि लोकसभा की प्रतिष्ठा की रक्षा करना सदन के हर सदस्य की जिम्मेदारी है और उन्होंने उम्मीद जताई कि अध्यक्ष अपने नेतृत्व में यह सुनिश्चित करेंगे कि नियमों का पालन हर हाल में किया जाए।
इस मामले के बाद संसद के गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं और अब सभी की निगाहें लोकसभा सचिवालय और अध्यक्ष की ओर हैं कि वे इस आरोप पर क्या कदम उठाते हैं।