क्या वृक्षासन पैरों, घुटनों और रीढ़ को मजबूती देता है? जानें अभ्यास का सही तरीका
सारांश
Key Takeaways
- वृक्षासन मानसिक तनाव कम करता है।
- यह पैरों और घुटनों की मजबूती में सहायक है।
- नियमित अभ्यास से ध्यान और संतुलन में सुधार होता है।
- स्वास्थ्य समस्याओं के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।
- शुरुआत में दीवार का सहारा लेने की सलाह दी जाती है।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नियमित योगाभ्यास से शरीर में संतुलन, ध्यान और शारीरिक स्थिरता प्राप्त होती है। वृक्षासन एक ऐसा आसन है, जो शरीर को पेड़ की तरह स्थिरता और संतुलन प्रदान करता है।
यह आसन उन व्यक्तियों के लिए अधिक लाभकारी है जो मानसिक तनाव, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और शारीरिक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।
'वृक्ष' का अर्थ है 'पेड़'। इस आसन के अभ्यास की अंतिम स्थिति एक वृक्ष के आकार के समान होती है, इसलिए इसे वृक्षासन कहा जाता है। इसके नियमित अभ्यास से ध्यान की क्षमता में सुधार होता है। यह योग रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है और पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, वृक्षासन एक संतुलनकारी योगासन है, जो शरीर की स्थिरता, मानसिक एकाग्रता और शारीरिक मजबूती प्रदान करता है। यह पैरों, घुटनों और रीढ़ को मजबूत करता है और तनाव को कम करता है, जिससे सहनशीलता, धैर्य और आंतरिक शांति में वृद्धि होती है।
'वृक्षासन' के प्रारंभ में संतुलन बनाने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए इसको करने के लिए पहले दीवार का सहारा ले सकते हैं। इसे करने के लिए योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दाहिने घुटने को मोड़कर दाएं पैर को बाईं जांघ पर रखें और बाएं पैर को सीधा रखते हुए शरीर का संतुलन बनाएं। हाथों को सिर के ऊपर उठाएं और हथेलियों को एक साथ मिलाकर नमस्ते मुद्रा में लाएं। कुछ समय तक इस स्थिति में रहें। फिर, अपनी क्षमता के अनुसार सामान्य स्थिति में लौटें।
यह योगासन शुरुआत में संतुलन बनाने में कठिनाई दे सकता है, लेकिन नियमित अभ्यास से संतुलन में सुधार होगा। शुरुआत में इसे अपनी क्षमता के अनुसार 15-30 सेकंड तक करें। धीरे-धीरे जब संतुलन बनने लगे, तो इसे 1 मिनट तक भी कर सकते हैं। इस दौरान गहरी और स्थिर सांस लें। यह एकाग्रता और स्थिरता में सहायक है।
इस आसन को करने से पहले डॉक्टर का परामर्श लेना आवश्यक है, यदि आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं।