क्या शारदीय नवरात्रि 2025 में मां नैना देवी का दरबार सजने वाला है?

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क्या शारदीय नवरात्रि 2025 में मां नैना देवी का दरबार सजने वाला है?

सारांश

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में, मां नैना देवी का दरबार भव्य सजावट के साथ तैयार हो रहा है। मंदिर में विदेशी फूलों और लाइटों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को एक दिव्य अनुभव मिलेगा। जानें नवरात्रि के महत्व और इस बार की अनोखी सजावट के बारे में।

Key Takeaways

  • मंदिर की सजावट विदेशी फूलों और लाइटों से हो रही है।
  • हरियाणा की संस्था सजावट का कार्य कर रही है।
  • नवरात्रि के दौरान हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं।
  • धार्मिक महत्व पुराणों में वर्णित है।
  • नेत्र रोग

बिलासपुर, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित शक्तिपीठ श्री नैना देवी मंदिर में इस वर्ष शारदीय नवरात्रि (22 सितंबर, सोमवार) का शुभारंभ भव्य धूमधाम के साथ होने जा रहा है। माता के दरबार को विभिन्न प्रकार के फूलों और लाइटों से सजाया जा रहा है, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाएगा।

हरियाणा की एक समाजसेवी संस्था इस मंदिर की सजावट का कार्य संभाल रही है। संस्था के लगभग 11 कारीगर दिन-रात मेहनत कर माता के दरबार को एक दिव्य रूप देने में लगे हैं। मंदिर परिसर को फूलों, रंग-बिरंगी लड़ियों और आकर्षक लाइटों से सजाया जा रहा है। खास बात यह है कि इस बार सजावट में विदेशी फूलों का भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे पूरा मंदिर परिसर एक स्वर्गिक आभा से दमक उठेगा। कारीगरों के अनुसार, नवरात्रि से एक दिन पहले मंदिर पूरी तरह सज कर तैयार हो जाएगा।

यह ध्यान देने योग्य है कि नवरात्रि के अवसर पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए नैना देवी धाम पहुंचते हैं। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल सहित कई अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन और स्थानीय लोग हर वर्ष तैयारियां करते हैं। इस बार भी मंदिर की सजावट और प्रबंधन दोनों ही श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं।

नैना देवी मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत गहरा है। पुराणों के अनुसार, जब दक्ष प्रजापति ने अपने यज्ञ में भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया, तब माता सती अपने पति का अपमान देखकर क्रोधित हो गईं और यज्ञ अग्नि में कूद गईं। भगवान शिव ने सती के जले हुए शरीर को उठाकर ब्रह्मांड का भ्रमण करना शुरू किया। उस समय भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के अंगों को अलग किया। जहां-जहां सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। मान्यता है कि नैना देवी मंदिर उसी स्थान पर स्थित है, जहां माता सती के नेत्र गिरे थे।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, इसी स्थान पर माता नैना देवी ने महिषासुर राक्षस का वध किया था। देवताओं ने प्रसन्न होकर माता की जयकार की और तभी से इस स्थान का नाम श्री नैना देवी पड़ा। मान्यता है कि माता के दरबार में आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती है।

इस मंदिर से जुड़ी एक विशेष मान्यता है कि नेत्र रोग से पीड़ित श्रद्धालु यहां मन्नत मांगते हैं। यदि उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वे माता को चांदी के नेत्र चढ़ाते हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि ऐसा करने से नेत्र रोग दूर हो जाते हैं।

Point of View

बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्त्व रखता है। यह हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति लोगों की गहरी आस्था को दर्शाता है।
NationPress
20/09/2025

Frequently Asked Questions

शारदीय नवरात्रि कब शुरू हो रही है?
शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 22 सितंबर, 2025 को हो रहा है।
मां नैना देवी का मंदिर कहाँ स्थित है?
मां नैना देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है।
नैना देवी मंदिर में किस प्रकार की सजावट की जा रही है?
मंदिर को विदेशी फूलों और आकर्षक लाइटों से सजाया जा रहा है।
क्या नैना देवी मंदिर का कोई धार्मिक महत्व है?
हाँ, नैना देवी मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत गहरा है।
श्रद्धालु नेत्र रोग के लिए क्या करते हैं?
श्रद्धालु नेत्र रोग से पीड़ित होने पर मन्नत मांगते हैं और चांदी के नेत्र चढ़ाते हैं।