क्या शिवराज पाटिल से जुड़े दो विवाद उन्हें देशभर में आलोचनाओं का सामना करने पर मजबूर कर गए?
सारांश
Key Takeaways
- शिवराज पाटिल का निधन भारतीय राजनीति में एक बड़ा नुकसान है।
- उनके विवादास्पद बयान और कार्यों ने उन्हें आलोचना का सामना कराया।
- राजनीति में हर शब्द का महत्व होता है, खासकर जब बात धार्मिक भावनाओं की हो।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह निधन हो गया है। उन्हें अपने शांत स्वभाव और संयमित राजनीतिक शैली के लिए जाना जाता था। लेकिन अपने लंबे राजनीतिक करियर में, उन्होंने अपने बयानों और जीवनशैली के कारण कड़ी आलोचना का सामना किया।
एक प्रमुख विवाद उनके श्रीमद्भवत गीता को लेकर दिए गए बयान से जुड़ा है, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों और टीवी डिबेट में घमासान मच गया।
दरअसल, दिल्ली में एक बुक लॉन्च इवेंट के दौरान शिवराज पाटिल ने कहा था कि जिहाद की अवधारणा केवल कुरान में ही नहीं, बल्कि गीता और ईसाई ग्रंथों में भी मिलती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्लाम धर्म में जिहाद पर बहुत चर्चा होती है। अगर कोई अपने विचारों को नहीं समझता है, तो ताकत का उपयोग किया जा सकता है। यह अवधारणा महाभारत में भी है। गीता के उस भाग में जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म के लिए युद्ध करने की प्रेरणा दी, वह भी जिहाद के समान है।
उनके इस बयान पर विभिन्न धर्मों के नेताओं, सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। कई लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया। फिर भी, पाटिल ने इसे केवल धर्मग्रंथों की 'दार्शनिक व्याख्या' कहा।
दूसरा विवाद वर्ष 2008 में सामने आया जब दिल्ली में सीरियल बम ब्लास्ट के दिन उन्हें तीन अलग-अलग परिधानों में देखा गया। उस समय, एक और बम धमाके के पीड़ित अस्पताल में तड़प रहे थे, लेकिन शिवराज पाटिल को उनके कपड़े बदलने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा।
इस विवाद पर एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "मैं एक साफ-सुथरे तरीके से रहने वाला व्यक्ति हूं। लोग मुझमें कमी निकालते हैं जबकि मैं शांति से काम कर रहा हूं। आप नीतियों की आलोचना करें, कपड़ों की नहीं।" उन्होंने कहा कि इस तरह की आलोचना राजनीतिक मर्यादा के खिलाफ है और इसका मूल्यांकन जनता करेगी।
भाजपा सहित विपक्षी दलों ने पाटिल के कार्य को असंवेदनशीलता बताया, लेकिन बिहार के पूर्व मंत्री शकील अहमद ने कहा कि कपड़ों पर विवाद निरर्थक है। हर इंसान को अच्छा दिखने का अधिकार है, और किसी मंत्री का मूल्यांकन उसकी नीतियों और काम से होना चाहिए, न कि उसकी वेशभूषा से।