क्या श्रावण मास का पहला सोमवार ओंकारेश्वर में भक्तों की उमड़ती भीड़ का साक्षी बना?

सारांश
Key Takeaways
- ओंकारेश्वर मंदिर में श्रावण मास का पहला सोमवार भक्तों के लिए विशेष होता है।
- भक्तों की आस्था सुबह से ही दिखाई देती है।
- शाही सवारी और गुलाल महोत्सव का आयोजन हर सोमवार किया जाएगा।
- प्रशासन ने भक्तों की भीड़ के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं।
- भगवान शिव की विशेष कृपा इस महीने में मानी जाती है।
खंडवा, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण मास के पहले सोमवार का अद्वितीय दृश्य मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित पवित्र तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में देखने को मिला। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक और चतुर्थ ज्योतिर्लिंग माने जाने वाले ओंकारेश्वर मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए।
भक्तों की यह भक्ति सुबह से ही दिखाई देने लगी। सुबह 4 बजे मंदिर के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे। 5 बजे भव्य आरती का आयोजन किया गया, जिसमें भाग लेने के लिए श्रद्धालु रात भर कतार में खड़े दिखाई दिए। मंदिर पहुंचने से पहले भक्तों ने पवित्र नर्मदा नदी में स्नान किया। पूरा मंदिर परिसर 'बोल बम', 'जय ओंकार', और 'हर-हर महादेव' के जयघोष से गूंज उठा।
श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस महीने में महादेव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। इसी कारण श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से लेकर रात तक बनी रहती है। इस बार श्रावण-भाद्रपद माह में कुल 6 सोमवार पड़ेंगे। हर सोमवार को ओंकारेश्वर महाराज की शाही सवारी निकाली जाएगी, जिसमें नगर भ्रमण और नौका विहार भी शामिल रहेगा। इस दौरान गुलाल महोत्सव का आयोजन भी किया जाएगा।
पहले सोमवार को शाम 4 बजे ओंकारेश्वर महाराज की शाही सवारी नगर भ्रमण पर निकलेगी और फिर नर्मदा नदी में नौका विहार करेगी। गुलाल से सजे भक्त, झूमते हुए जयकारों के साथ इस शोभायात्रा में शामिल होंगे।
श्रावण मास में भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। मंदिर पहुंचने के लिए झूला पुल और पुराना पुल दोनों मार्गों पर भक्तों की आवाजाही सुचारू रूप से जारी रही। भारी उमस और गर्मी के बावजूद भी श्रद्धालु श्रद्धा और आस्था में लीन होकर कतार में लगे रहे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव दिनभर ब्रह्मांड में विचरण करते हैं, लेकिन रात में ओंकार पर्वत पर शयन करते हैं। इस कारण यहां शयन आरती का विशेष महत्व है।