क्या श्रावण मास की द्वितीया तिथि पर त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष संयोग बन रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- श्रावण मास की द्वितीया तिथि पर त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग से कार्यों की सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
- शनिवार का व्रत करने से शनि के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
- ब्राह्म मुहूर्त में उठकर पूजा का महत्व है।
- पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
नई दिल्ली, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि इस बार शनिवार के दिन आ रही है। इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि में विराजमान रहेंगे, जबकि चंद्रमा मकर राशि में स्थित रहेंगे। इस दिन त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग का एक विशेष संयोग बन रहा है।
सर्वार्थ सिद्धि योग तब उत्पन्न होता है जब कोई विशेष नक्षत्र किसी खास दिन के साथ एकत्रित होता है। इस योग में किए गए कार्यों को सफलता मिलने की मान्यता होती है। इसका मुहूर्त 12 जुलाई की सुबह 06:36 बजे से प्रारंभ होकर 13 जुलाई की सुबह 05:32 बजे तक रहेगा।
इसके साथ ही, इस दिन त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। यह योग तब बनता है जब रविवार, मंगलवार या शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी, द्वादशी में से कोई एक तिथि हो और उस दिन विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु या कृत्तिका नक्षत्र उपस्थित हो।
अग्नि पुराण के अनुसार, शनिवार का व्रत शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। हालांकि, शनिवार का व्रत किसी भी समय आरंभ किया जा सकता है, लेकिन श्रावण मास में पड़ने वाले शनिवार का व्रत विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि 7 शनिवार का व्रत रखने से व्यक्ति को शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
धर्मशास्त्रों में यह बताया गया है कि शनिदेव को प्रसन्न कैसे किया जाए। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके पश्चात शनि की प्रतिमा या शनि यंत्र स्थापित करें और शनि मंत्रों का जाप करें। शनिदेव को स्नान कराकर उन्हें काले वस्त्र, काले तिल और सरसों का तेल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। फिर शनि चालीसा और कथा का पाठ करें। पूजा के दौरान शनिदेव को पूरी और काले उड़द दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं और आरती करें। मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर शनिदेव का निवास होता है। इसलिए हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और छाया दान करना बहुत शुभ माना जाता है।