क्या है श्री मुखलिंगेश्वर मंदिर का रहस्य, जहाँ लकड़ी से बने शिवलिंग की पूजा होती है?
सारांश
Key Takeaways
- मुखलिंगेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थल है।
- यहाँ लकड़ी से बना शिवलिंग पूजा जाता है।
- मंदिर की वास्तुकला कलिंग शैली का अद्भुत उदाहरण है।
- भक्तों की गहरी आस्था है कि महादेव उनकी रक्षा करेंगे।
- यह मंदिर 600 साल पुराना है।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देवों के देव महादेव, भगवान शिव विभिन्न रूपों में उपस्थित हैं। पूरी पृथ्वी के सृजनकर्ता और विनाशक के रूप में पूजे जाने वाले भगवान शिव को पवित्र शिवलिंग के रूप में सम्मानित किया जाता है।
आंध्र प्रदेश के एक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर में आज भी लकड़ी से बने शिवलिंग की पूजा की जाती है। यह देश का पहला मंदिर है, जहाँ शिवलिंग लकड़ी का बना है।
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम के पास मुखलिंगम गाँव में भगवान शिव को समर्पित श्री मुखलिंगेश्वर मंदिर स्थित है। इसे मधुकेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ भगवान शिव के अवतार को मधुकेश्वर कहा जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर 600 साल से अधिक पुराना है, जहाँ भगवान शिव की पूरी विधि-विधान से पूजा होती है।
आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से श्रीकाकुलम का एक अपना महत्व रहा है। यह कभी कलिंग साम्राज्य की राजधानी रह चुका है, और वंशधारा नदी के किनारे बसे होने के कारण मुखलिंगम गाँव में भगवान शिव को समर्पित दो अन्य मंदिर, सोमेश्वर और भीमेश्वर, भी हैं।
श्री मुखलिंगेश्वर मंदिर में उपस्थित शिवलिंग अद्भुत है। यह पेड़ के तने से निर्मित है, लेकिन देखने पर यह पत्थर की संरचना जैसा प्रतीत होता है। भक्तों का मानना है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है। इतना ही नहीं, शिवलिंग पर भगवान शिव के चेहरे की आकृति भी उकेरी गई है, जो उनके साकार और निराकार रूप का मिश्रण है। शिवलिंग पर मुख अंकित होने के कारण ही मंदिर का नाम मुखलिंगेश्वर पड़ा है।
इस शिवलिंग पर लगातार जल की धारा बहती रहती है, लेकिन यह आज तक वैसा का वैसा ही बना हुआ है। यही कारण है कि भक्तों का मुखलिंगेश्वर महादेव पर विश्वास और आस्था इतनी गहरी है। भक्तों का विश्वास है कि मुखलिंगेश्वर महादेव उन्हें किसी भी विपत्ति से सुरक्षित रखेंगे।
मंदिर की वास्तुकला भी कलिंग शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। मंदिर की दीवारों में भगवान शिव, नंदी, विष्णु भगवान और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ उकेरी गई हैं। मंदिर के प्रांगण में नंदी महाराज की एक बड़ी प्रतिमा विराजमान है।