क्या श्री रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर में ऋषि परशुराम ने शिवलिंग की स्थापना की थी?
सारांश
Key Takeaways
- श्री रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित है।
- यहां भगवान शिव स्वयंभू रूप में विराजमान हैं।
- ऋषि परशुराम ने यहां कठोर तप किया था।
- मंदिर की पहाड़ी को 'मुनिगिरी क्षेत्रम' कहा जाता है।
- स्थानीय शिव भक्तों ने मंदिर के विकास में बड़ा योगदान दिया है।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दक्षिण भारत में अनेक मंदिर हैं जो अपने ऐतिहासिक महत्व, पौराणिक कथाओं और अद्वितीय वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं। उनमें से एक प्रमुख मंदिर आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में है, जहां भगवान शिव स्वयंप्रभू के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर के गर्भगृह पर जब सूरज की किरणें सीधे पड़ती हैं, तो यह एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है, जिसे देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में रामलिंगेश्वर नगर के निकट यानामालाकुडुरू में स्थित श्री रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर में भगवान शिव एक स्वयंभू देवता के रूप में प्रतिष्ठित हैं, जिन्हें वायु लिंग भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना ऋषि परशुराम ने की थी, जिन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया और भगवान शिव ने उन्हें वायु लिंगम रूप में स्थापित होने का वचन दिया था। किंवदंतियों के अनुसार, इस मंदिर की पहाड़ी पर 1000 से अधिक पवित्र संतों और ऋषियों ने तपस्या की थी, जिसके कारण गांव का नाम 'वेयी मुनुला कुदुरु' पड़ा, जिसे बाद में बदलकर 'यनामालाकुदुरु' कर दिया गया।
हर साल शिवरात्रि के दौरान, मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और दूर-दूर से शिव भक्त यहां भगवान शिव के वायु लिंगम अवतार के दर्शन करने आते हैं।
श्री रामलिंगेश्वर स्वामी मंदिर शांत बहती कृष्णा नदी के निकट स्थित है, जो समुद्र तल से 612 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर के चारों ओर का पहाड़ी क्षेत्र और हरियाली भक्तों को आकर्षित करती है। जिस क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है, उसे 'मुनिगिरी क्षेत्रम' कहा जाता है क्योंकि यहां बहुत सारे ऋषि और मुनियों ने तपस्या की थी।
इस पवित्र क्षेत्र का विकास और श्रद्धालुओं की पहुंच को सुगम बनाने के लिए मंदिर के निकट विकास कार्य जारी है। मंदिर के पास मल्टीप्लेक्स पार्किंग की सुविधा के लिए एक इमारत का निर्माण किया जा रहा है, और यह जानकर आश्चर्य होता है कि इस निर्माण पर 70 करोड़ रुपये का खर्च शिव भक्तों द्वारा किया जा रहा है। यानामलकुदुरु के निवासी शिव भक्त सांगा नरसिम्हा राव मंदिर के आसपास निर्माण कार्य करा रहे हैं और पिछले दो दशकों से अपनी निजी संपत्ति को मंदिर के विकास में लगा रहे हैं।