क्या साहसिक एवं मानवीय गुणों से संपन्न थे श्यामाचरण दुबे, जिन्होंने रचना के लिए मूर्तिदेवी पुरस्कार प्राप्त किया?

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क्या साहसिक एवं मानवीय गुणों से संपन्न थे श्यामाचरण दुबे, जिन्होंने रचना के लिए मूर्तिदेवी पुरस्कार प्राप्त किया?

सारांश

श्यामाचरण दुबे का जीवन साहसिकता और मानवीय गुणों का प्रतीक है। उन्हें उनकी रचना 'परंपरा, इतिहास-बोध और संस्कृति' के लिए मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जानते हैं उनके जीवन के प्रेरणादायक क्षणों के बारे में।

Key Takeaways

  • श्यामाचरण दुबे का जीवन साहसिकता और मानवता का प्रतीक है।
  • उनकी रचनाएँ भारतीय समाज और संस्कृति को समझने में सहायक हैं।
  • उन्होंने शिक्षा और अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • मूर्तिदेवी पुरस्कार ने उनके कार्यों को मान्यता दी।
  • उनकी किताबें आज भी प्रासंगिक हैं।

नई दिल्ली, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में जन्मे श्यामाचरण दुबे एक प्रतिष्ठित भारतीय समाजशास्त्री एवं साहित्यकार थे। उन्हें एक कुशल प्रशासक और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सलाहकार के रूप में याद किया जाता है। उनकी रचना 'परंपरा, इतिहास-बोध और संस्कृति' के लिए उन्हें मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

श्यामाचरण दुबे का जन्म 25 जुलाई 1922 को हुआ था। उनकी माता एक राष्ट्रवादी महिला थीं और उनके पिता 'कोर्ट ऑफ वॉर्ड्स' के प्रबंधक थे, जो ब्रिटिश शासन के दौरान नाबालिगों और अक्षम व्यक्तियों की संपत्ति की देखभाल के लिए स्थापित की गई थी।

जब वे 7-8 वर्ष के थे, तब उनकी मां का निधन हो गया। पिता के संरक्षण में उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। साहसिक एवं मानवीय गुणों से संपन्न श्यामाचरण दुबे ने हिंदी पत्रिकाओं और पुस्तकों में रुचि दिखाते हुए अपनी यात्रा प्रारंभ की और बाद में अंग्रेजी ग्रंथों की ओर बढ़े।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय से हुई, जहाँ विद्यार्थियों को टाट-पट्टी पर बैठना पड़ता था। इसके बाद उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स किया और मानव विज्ञान में शोध कार्य किया, जिसमें छत्तीसगढ़ की कमार जनजाति का अध्ययन किया।

श्यामाचरण दुबे ने अपने कार्यक्षेत्र में राष्ट्रीय सामुदायिक संस्थान को अनुसंधान केंद्र बनाया और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज, शिमला के निदेशक रहे। इसके बाद वे जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति बने। मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा अनुदान आयोग के सदस्य के रूप में उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रमों का आधुनिकीकरण किया।

उनकी प्रमुख रचनाओं में मानव और संस्कृति, परंपरा और इतिहास बोध, संक्रमण की पीड़ा, और विकास का समाजशास्त्र शामिल हैं। श्यामाचरण दुबे ने हाईस्कूल के दिनों से ही लेखन प्रारंभ किया और हंस, विशाल भारत जैसे पत्रों में लेखन किया।

अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अंग्रेजी में इंडियन विलेज लिखा, जिसका कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ। अन्य अंग्रेजी रचनाओं में इंडियाज चेंजिंग विलेजेज और मॉडर्नाइजेशन एंड डेवलपमेंट शामिल हैं। इन सभी में आर्थिक और सामाजिक विकास का गहन अध्ययन किया गया है।

'परंपरा, इतिहास-बोध और संस्कृति' के लिए उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ ने मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित किया।

4 फरवरी, 1996 को श्यामाचरण दुबे का निधन हो गया।

Point of View

बल्कि वे सामाजिक विकास और मानवता की सेवा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

श्यामाचरण दुबे का जन्म कब हुआ?
श्यामाचरण दुबे का जन्म 25 जुलाई 1922 को हुआ था।
उन्हें किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया?
उन्हें 'मूर्तिदेवी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
उनकी प्रमुख रचनाएँ कौन सी हैं?
उनकी प्रमुख रचनाओं में 'मानव और संस्कृति', 'परंपरा और इतिहास बोध' शामिल हैं।
श्यामाचरण दुबे ने किस विषय में शोध किया?
उन्होंने मानव विज्ञान में शोध किया, जिसमें छत्तीसगढ़ की कमार जनजाति का अध्ययन किया।
उनका निधन कब हुआ?
उनका निधन 4 फरवरी 1996 को हुआ।