क्या मध्य प्रदेश में सीधी एसपी ने ब्राह्मणों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली महिला पुलिसकर्मी को निलंबित किया?
सारांश
Key Takeaways
- ड्यूटी के दौरान अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है।
- वीडियो के माध्यम से समाज की प्रतिक्रिया तेजी से बदल सकती है।
- पुलिस विभाग की छवि को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
- सामाजिक मीडिया का प्रभाव तेजी से होता है।
- अनुशासनहीनता पर त्वरित कार्रवाई जरूरी है।
सीधी, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के सीधी जिले में ड्यूटी के दौरान ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ अश्लील और अमर्यादित टिप्पणी करने वाली महिला कांस्टेबल अंजू देवी जायसवाल को पुलिस अधीक्षक संतोष कोरी ने तुरंत निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई एक वायरल वीडियो के आधार पर की गई, जिसमें कांस्टेबल अंजू पुलिस वर्दी में ड्यूटी स्थल पर ब्राह्मणों के खिलाफ अश्लील टिप्पणी करती हुई दिखी।
यह घटना 24 अक्टूबर को हुई, जब शहर के एक स्कूल में गायिका शहनाज अख्तर का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में महिला कांस्टेबल अंजू की ड्यूटी लगाई गई थी। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ब्राह्मणों को लेकर अभद्र और अश्लील भाषा का प्रयोग किया। जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, मामला तेजी से बढ़ा और पुलिस विभाग की छवि पर भी सवाल उठने लगे।
ब्राह्मण समाज के संगठनों ने महिला कांस्टेबल के आचरण की निंदा की और सीधी के पुलिस अधीक्षक से तुरंत कार्रवाई की मांग की।
वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस अधीक्षक संतोष कोरी ने मामले की जांच की। जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि ड्यूटी के दौरान महिला कांस्टेबल ने पुलिस वर्दी में अनुचित व्यवहार कर विभाग की छवि को धूमिल किया।
महिला कांस्टेबल के आचरण को अनुशासनहीनता मानते हुए कार्रवाई की गई। आदेश के अनुसार, महिला कांस्टेबल अंजू देवी जायसवाल को 25 अक्टूबर को निलंबित कर दिया गया।
निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय रक्षित केंद्र, जिला सीधी निर्धारित किया गया है। इस दौरान उन्हें नियमानुसार जीवन-निर्वाह भत्ता प्राप्त होगा, लेकिन वे पुलिस अधीक्षक की अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगी और अपनी उपस्थिति नियमित रूप से दर्ज करानी होगी।
एसपी कोरी ने कहा है कि ड्यूटी के दौरान वर्दी में रहते हुए इस प्रकार की अभद्र टिप्पणी न केवल अनुशासनहीनता को दर्शाती है, बल्कि पुलिस विभाग की गरिमा और जनता में विश्वास को भी प्रभावित करती है।