क्या साल 2025 धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए महत्वपूर्ण रहेगा? कई मंदिरों के कॉरिडोर प्रस्तावों को मिली मंजूरी

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क्या साल 2025 धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए महत्वपूर्ण रहेगा? कई मंदिरों के कॉरिडोर प्रस्तावों को मिली मंजूरी

सारांश

क्या साल 2025 धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए महत्वपूर्ण रहेगा? इस लेख में हम उन मंदिरों के कॉरिडोर पर चर्चा करेंगे, जिनकी योजनाएं केंद्र सरकार ने मंजूर की हैं। जानिए धार्मिक स्थलों के विकास के लिए कौन-कौन से महत्वपूर्ण कार्य चल रहे हैं और क्या उनकी सफलता सुनिश्चित होगी।

Key Takeaways

  • धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है।
  • सरकार की नई योजनाएं करोड़ों रुपये का निवेश कर रही हैं।
  • स्थानीय समुदायों की भावनाओं का सम्मान आवश्यक है।

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के विकास के लिए, देश की सरकार हर वर्ष नई परियोजनाओं की घोषणा करती है। उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक, मंदिरों की बुरी स्थिति को सुधारने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।

इस लेख में हम 2025 में उन मंदिरों के कॉरिडोर पर चर्चा करेंगे, जिन पर कार्य चल रहा है और कुछ प्रस्तावित हैं।

साल की शुरुआत में महाकुंभ 2025 को ध्यान में रखते हुए, इलाहाबाद के आस-पास स्थित मंदिरों के जीर्णोद्धार का कार्य आरंभ किया गया। इस दौरान सीएम योगी ने मनकामेश्वर मंदिर कॉरिडोर, मां अलाेपशंकरी कारिडोर, नागवासुकि मंदिर कारिडोर, पड़िला महादेव कॉरिडोर और तक्षक तीर्थ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। हालांकि, इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए नवंबर 2025 का समय निर्धारित किया गया था। इसके अलावा, बड़े हनुमान मंदिर कॉरिडोर का कार्य भी जारी है, जिसकी शुरुआत नवंबर 2024 में हुई थी। कॉरिडोर के पहले चरण का कार्य पूरा हो चुका है।

इसी वर्ष मथुरा-वृन्दावन कॉरिडोर के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना को उत्तर प्रदेश सरकार ने मंजूरी दी थी। बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने की चर्चा पिछले 2 वर्षों से की जा रही थी, लेकिन स्थानीय लोग इसके खिलाफ हैं। वे नहीं चाहते कि वृंदावन की संकरी गलियां टूटें, जहां भगवान ने लीलाएं की थीं।

साल 2025 में भोरमदेव कॉरिडोर परियोजना को भी मंजूरी मिली है। केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत, 146 करोड़ रुपये की लागत से इसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर बनाया जाएगा। यह परियोजना दिसंबर में मंजूर हुई थी।

साल की शुरुआत में बाबा हरिहरनाथ मंदिर कॉरिडोर, सोनपुर (बिहार) को मंजूरी दी गई। मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए लगभग 40 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और इसे भी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर तैयार किया जाएगा। मंदिर के रखरखाव और गर्भगृह की भी मरम्मत की जाएगी।

ओंकारेश्वर विकास परियोजना के तहत, ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर महादेव और नर्मदा नदी के किनारे स्थित छोटे और प्राचीन मंदिरों की मरम्मत शामिल है। 600 करोड़ रुपये की इस परियोजना में नर्मदा नदी के पुल और घाटों का सौंदर्यीकरण भी शामिल है।

2025 की शुरुआत में यूपी के गोला गोकर्णनाथ में कॉरिडोर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। मंदिर का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में पूरा किया जा रहा है।

गया के विष्णुपद मंदिर कॉरिडोर का कार्य अभी भी जारी है। पिछले वर्ष भारत सरकार ने बजट में मंदिर के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और अब भी कॉरिडोर का कार्य चल रहा है। यहां भी कॉरिडोर का निर्माण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के समान किया जा रहा है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार हमारी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। सरकार की योजनाएं सराहनीय हैं, लेकिन स्थानीय समुदायों की भावनाओं का सम्मान करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
NationPress
27/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए सरकार पैसे खर्च कर रही है?
हाँ, सरकार करोड़ों रुपये मंदिरों के जीर्णोद्धार और विकास पर खर्च कर रही है।
कॉरिडोर परियोजनाओं का क्या महत्व है?
कॉरिडोर परियोजनाएं धार्मिक स्थलों को विकसित करने और पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण हैं।
क्या स्थानीय लोग कॉरिडोर के खिलाफ हैं?
कुछ स्थानों पर स्थानीय लोग कॉरिडोर के खिलाफ हैं, जैसे वृंदावन में।
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