क्या सरकार एसआईआर पर संसद में चर्चा से भाग रही है? : गौरव गोगोई

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क्या सरकार एसआईआर पर संसद में चर्चा से भाग रही है? : गौरव गोगोई

सारांश

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर संसद में चर्चा न करने को लेकर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र की पारदर्शिता पर खतरा बताया है। क्या सरकार इस मुद्दे को दबाने की कोशिश कर रही है? जानें पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • एसआईआर का महत्व और इसके प्रभाव को समझना जरूरी है।
  • लोकतंत्र की पारदर्शिता पर प्रश्न उठाने वाले मुद्दों को उठाना चाहिए।
  • चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संदेह को गंभीरता से लेना चाहिए।
  • सरकार को खुले विचार-विमर्श का सम्मान करना चाहिए।
  • संसद में चर्चा न करने के कारणों को स्पष्ट करना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। संसद के मॉनसून सत्र में बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विपक्षी इंडिया गठबंधन ने जोरदार हंगामा किया। विपक्ष का आरोप है कि यह संशोधन आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं, विशेषकर दलितों, पिछड़े वर्गों और गरीब समुदायों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश के रूप में देखा जा रहा है। इस बीच, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर संसद में चर्चा से बच रही है, जो लोकतंत्र की पारदर्शिता और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।

बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान, गौरव गोगोई ने प्रश्न किया कि सरकार क्या छिपाने की कोशिश कर रही है और इस चुप्पी के पीछे का डर क्या है। उन्होंने कहा कि देश को इस बात पर गंभीर चिंता करनी चाहिए कि एक चुनी हुई सरकार मतदाता सूची के संशोधन और मतदान प्रक्रिया जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से क्यों बच रही है।

गोगोई ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी संदेह व्यक्त किया और कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर खुली चर्चा चाहता है ताकि आम लोगों को अपने मताधिकार और मतदान केंद्रों की जानकारी स्पष्ट हो सके। यह कोई राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला नहीं है, इसलिए सरकार को सदन में खुली चर्चा से बचने का कोई कारण नहीं होना चाहिए। अगर सरकार इस विषय को संसद में नहीं उठने देगी, तो लोग अपने सवाल कहां पूछेंगे?

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विपक्ष की ओर से मांग की कि इस मुद्दे पर पारदर्शी और खुली चर्चा हो, ताकि लोगों का भरोसा लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर बना रहे।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग मनमाने ढंग से काम करेगा और सत्तापक्ष का कठपुतली बन जाएगा, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। लोकतंत्र को बचाने के लिए संसद, जो लोकतंत्र का मंदिर है, में इस मुद्दे पर खुली चर्चा होनी चाहिए।

उन्होंने संविधान में निहित चेक एंड बैलेंस की व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव आयोग निरंकुश हो रहा है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक है। पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर उन्होंने विशेष चिंता जताई और आरोप लगाया कि चुनाव आयोग लोकतंत्र को कमजोर करने पर आमादा है, जो अत्यंत दुखद है।

इमरान मसूद ने कहा कि विपक्ष संसद के बाहर लगातार एसआईआर के खिलाफ आपत्ति दर्ज करा रहा है, लेकिन सरकार और चुनाव आयोग की ओर से कोई सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर संसद में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी, तो जनता अपनी आपत्तियां और सवाल कहां उठाएगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए खुले विचार-विमर्श की आवश्यकता है। यदि सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बचती है, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति जनता का विश्वास कमजोर करती है। हमें एक सशक्त लोकतंत्र के लिए हमेशा पारदर्शिता और जिम्मेदारी की आवश्यकता है।
NationPress
06/08/2025

Frequently Asked Questions

एसआईआर का क्या महत्व है?
एसआईआर मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण है, जो चुनावों में मतदान प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
गौरव गोगोई ने किस विषय पर सरकार को घेरा?
गौरव गोगोई ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह एसआईआर पर संसद में चर्चा से बच रही है।
क्या चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए?
जी हां, इमरान मसूद ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
इस मुद्दे पर विपक्ष की मांग क्या है?
विपक्ष की मांग है कि इस मुद्दे पर पारदर्शी और खुली चर्चा हो।
सरकार चर्चा से क्यों बच रही है?
सरकार चर्चा से बचने के पीछे क्या कारण है, यह एक बड़ा सवाल है।