क्या एसआईआर सर्वे के तहत तमिलनाडु में लाखों मतदाताओं के नाम कट सकते हैं? अपील जमा करने की अंतिम तारीख 11 दिसंबर
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए आवश्यक है।
- लगभग 40 से 50 लाख नाम कट सकते हैं।
- अपील जमा करने की अंतिम तारीख 11 दिसंबर है।
- ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने के बाद भी रजिस्ट्रेशन का अवसर मिलेगा।
- नकली वोटिंग रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
चेन्नई, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के अंतर्गत वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा करने की मुहिम तेज हो चुकी है।
चुनाव आयोग के अनुसार, 40 से 50 लाख मतदाताओं के नाम लिस्ट से हटाए जाने की संभावना है। यह अभियान 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले वोटर रोल को अपडेट करने का एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इससे कई लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य में कुल 6.41 करोड़ मतदाता हैं। अब तक 25.72 लाख ऐसे लोगों की पहचान की गई है, जो मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं। इनके नाम लिस्ट से हटाना निश्चित है। इसके अतिरिक्त, 39 लाख मतदाताओं ने अपना स्थायी पता बदल लिया है, जबकि 9 लाख मतदाताओं का अभी कोई पता नहीं मिल पा रहा है। चुनाव आयोग ने 3.32 लाख डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन वाले मतदाताओं की सूची भी तैयार की है। इन सभी के आधार पर, कम से कम 28 लाख नाम निश्चित रूप से वोटर लिस्ट से कटेंगे। यदि 9 लाख अनट्रेसेबल मतदाता 11 दिसंबर तक अपनी अपील नहीं जमा करते हैं, तो उनके नाम भी लिस्ट से हटा दिए जाएंगे।
चुनाव आयोग ने बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने के बाद भी, जिन्होंने अपना घर स्थायी रूप से बदल लिया है, उन्हें फिर से रजिस्ट्रेशन का अवसर दिया जाएगा। यह प्रक्रिया घर-घर जाकर फॉर्म वितरित करने पर निर्भर करती है। अब तक 63.2 लाख इलेक्टोरल फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं, लेकिन 41 लाख लोगों को अभी तक फॉर्म नहीं मिला है। अपील जमा करने की अंतिम तारीख 11 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। लोग फॉर्म-6 या फॉर्म-7 भरकर ऑनलाइन या बीएलओ के माध्यम से अपडेट कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और विपक्षी दलों ने एसआईआर को 'खतरनाक' बताते हुए विरोध किया है। वीसीके नेता थोल थिरुमावलावन ने चेतावनी दी है कि इससे लगभग एक करोड़ नाम कट सकते हैं, जो लोकतंत्र के लिए एक खतरा है। बिहार में 43 लाख नाम कटने का उदाहरण देते हुए उन्होंने संसद में बहस की मांग की। राजस्व अधिकारियों ने भी बीएलओ का अतिरिक्त कार्य न करने का निर्णय लिया है, जिससे प्रक्रिया में देरी हो रही है।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम नकली वोटिंग को रोकने और लिस्ट को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। लोग टोल-फ्री हेल्पलाइन से सहायता ले सकते हैं। यदि नाम गलती से कट जाता है, तो अपील का रास्ता खुला है।