क्या सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर की मांग पर 11 सितंबर को कोर्ट का फैसला आएगा?

सारांश
Key Takeaways
- सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर की मांग पर कोर्ट का फैसला 11 सितंबर को आएगा।
- याचिका में फर्जी दस्तावेजों का आरोप लगाया गया है।
- मामले की सुनवाई अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में हुई।
- याचिकाकर्ता का नाम विकास त्रिपाठी है।
- सोनिया गांधी ने 1983 में भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली का राउज एवेन्यू कोर्ट अपना फैसला 11 सितंबर को सुनाएगा।
यह याचिका विकास त्रिपाठी नामक व्यक्ति ने दाखिल की थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी ने 1980 में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले ही फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवा लिया था।
मामले की सुनवाई अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया की अदालत में हुई। याचिकाकर्ता विकास त्रिपाठी की ओर से सीनियर एडवोकेट पवन नारंग, अनिल सोनी और अन्य वकीलों ने अदालत में पक्ष रखा।
एडवोकेट पवन नारंग ने दलील दी कि उस समय, यानी 1980 में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए भारतीय नागरिक होना अनिवार्य था। उन्होंने यह भी कहा कि उस समय पासपोर्ट या राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को निवास प्रमाण पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
लाइव लॉ के मुताबिक, याचिका में कहा गया कि सोनिया गांधी का नाम 1980 में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज हुआ, जबकि उन्होंने 1983 में भारतीय नागरिकता प्राप्त की। 1982 में उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया, जबकि वह उसी पते पर रह रही थीं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि नाम हटाने की वजह यह थी कि फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से मतदाता सूची में नाम दर्ज कराया गया था।
वकीलों ने अदालत से आग्रह किया कि सोनिया गांधी के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल के आरोप में एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। अदालत ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद 11 सितंबर को दोपहर 4 बजे फैसला सुनाने की बात कही है।