क्या बिहार एसआईआर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को बड़ा झटका दिया?

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क्या बिहार एसआईआर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष को बड़ा झटका दिया?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार एसआईआर मामले में विपक्षी दलों की मांग को ठुकराते हुए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की समय सीमा को नहीं बढ़ाया। हालांकि, आयोग ने आश्वासन दिया है कि लोग 1 सितंबर के बाद भी दावे और आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं। जानें इस महत्वपूर्ण मामले के बारे में और क्या हैं आगे की सुनवाई के संभावित परिणाम।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा बढ़ाने की मांग को खारिज किया।
  • लोग 1 सितंबर के बाद भी आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं।
  • आयोग ने कहा कि अंतिम तारीख तक नाम जोड़ने का काम जारी रहेगा।
  • अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
  • आधार कार्ड की मांग को भी खारिज किया गया।

नई दिल्ली, 1 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार एसआईआर (में विशेष गहन पुनरीक्षण) मामले में विपक्षी दलों को एक बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावे और आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा 1 सितंबर से आगे बढ़ाने की मांग को ठुकरा दिया है। हालांकि, कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि 1 सितंबर की समय सीमा के बाद भी लोग अपनी आपत्तियां और दावे दर्ज कर सकेंगे।

आयोग ने स्पष्ट किया कि नामांकन की अंतिम तारीख तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम जारी रहेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।

चुनाव आयोग के वकील एकलव्य द्विवेदी ने कहा, "आज की सुनवाई में दो याचिकाएं दायर की गईं। मुख्य मांग थी कि आधार कवरेज को 65 प्रतिशत की बजाय सभी 7.2 करोड़ मतदाताओं तक बढ़ाया जाए और समयसीमा को भी बढ़ाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मांगों को खारिज कर दिया है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई का डाटा नोट किया है कि 99.5 प्रतिशत लोगों का आवेदन हो चुका है और कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया है कि 1 सितंबर की डेडलाइन के बाद भी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर लोग अपनी आपत्ति या दावा पेश कर सकते हैं।"

उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने आधार की मांग को भी नकारा है। कोर्ट ने माना है कि आधार का उद्देश्य नागरिकता को साबित करने का नहीं बल्कि पहचान को साबित करने का है। आधार कार्ड को 'डेट ऑफ बर्थ' का आधार माना जा सकता है।"

चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जिला निर्वाचन अधिकारियों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है। समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। आयोग ने कहा कि 1 सितंबर से 25 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय है और इसके बाद भी कोई रोक नहीं है।

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे और सही दावों को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 'बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी' के चेयरमैन को निर्देश दिया कि वे पैरा-लीगल वॉलेंटियर्स को मतदाताओं की मदद के लिए नोटिफिकेशन जारी करें, ताकि दावे और आपत्तियां दर्ज करने में सहायता मिल सके।

याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार कार्ड को स्वीकार करने का आदेश केवल 65 लाख लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि आधार कार्ड के कारण किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हुआ, तो उनकी सूची 8 सितंबर को कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।

इससे पहले, याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि 22 अगस्त को कोर्ट ने आधार कार्ड को दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का आदेश दिया था, लेकिन चुनाव आयोग पारदर्शिता के अपने निर्देशों का पालन नहीं कर रहा।

उन्होंने आशंका जताई कि कई 'रिन्यूमेरेशन फॉर्म' ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) द्वारा भरे गए हैं। भूषण ने यह भी कहा कि आयोग कुछ मतदाताओं को नोटिस जारी कर रहा है, जिसमें दस्तावेजों में कमी का हवाला दिया जा रहा है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में छूट गए लोग आधार कार्ड के साथ दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि, आधार की अहमियत को मौजूदा कानूनी प्रावधानों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग को कानून के तहत आधार की वैधानिकता को स्वीकार करना होगा।

इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी, जिसमें कोर्ट आधार कार्ड के आधार पर मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों की सूची पर विचार करेगा।

Point of View

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि यह चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और समयबद्धता को बनाए रखने में मदद करता है। आयोग की जिम्मेदारी है कि वह सभी मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा करे और सुनिश्चित करे कि सभी को अपनी आवाज़ उठाने का अवसर मिले।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा बढ़ाने की मांग को क्यों खारिज किया?
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के आश्वासन के आधार पर यह निर्णय लिया कि 1 सितंबर के बाद भी लोग अपनी दावे और आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं।
क्या आधार कार्ड को स्वीकार करने की मांग को भी खारिज किया गया?
हां, सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को स्वीकार करने की मांग को भी नकार दिया, यह मानते हुए कि आधार का उद्देश्य पहचान साबित करना है।
क्या आयोग द्वारा जारी की गई मतदाता सूची में संशोधन किया जा सकता है?
जी हां, आयोग ने स्पष्ट किया है कि अंतिम तारीख तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम जारी रहेगा।
क्या अगली सुनवाई की तारीख क्या है?
इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
क्या लोग 30 सितंबर के बाद भी दावे पेश कर सकते हैं?
जी हां, आयोग ने बताया है कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे।
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