क्या सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की मौतों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है?

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की मौतों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की मौतों के मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यह चिंता विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान बढ़ते कार्यभार के कारण हुई है। कोर्ट ने राज्य सरकारों को अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती का निर्देश दिया है ताकि बीएलओ के कार्य घंटे कम किए जा सकें। क्या ये कदम बीएलओ के लिए सुधार लाएंगे?

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
  • राज्यों को अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती करनी चाहिए।
  • बीएलओ पर काम का बोझ कम करना आवश्यक है।
  • मुआवजे के लिए याचिका दायर की गई है।
  • बीएलओ की आत्महत्या की घटनाएँ चिंताजनक हैं।

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की मौतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गहरी चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि बीएलओ पर बढ़ते कार्यभार को कम करना राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी है और इसके लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती तुरंत की जानी चाहिए।

तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी टीवीके द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी तब आई जब कोर्ट को बताया गया कि देशभर में अब तक 35-40 बीएलओ की मौत अत्यधिक काम के दबाव के कारण हो चुकी है। याचिकाकर्ता ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग रखी।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया एक वैध प्रशासनिक कार्रवाई है जिसे समय पर पूरा करना बेहद आवश्यक है।

उन्होंने कहा, "अगर कहीं स्टाफ की कमी है, तो अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करना राज्य का कर्तव्य है।"

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बीमार, असमर्थ या अत्यधिक दबाव में काम कर रहे अधिकारियों के प्रति राज्य सरकारों को संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए और तुरंत वैकल्पिक स्टाफ तैनात करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया है कि अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति कर बीएलओ के कार्य घंटे कम किए जाएं।

जहां 10,000 कर्मचारी मौजूद हैं, वहां आवश्यकता पड़ने पर 20,000 से 30,000 कर्मियों की तैनाती भी की जा सकती है। यदि कोई बीएलओ या कर्मचारी व्यक्तिगत कारणों, बीमारी या गंभीर परिस्थिति में ड्यूटी से छूट चाहता है, तो सक्षम अधिकारी केस-टू-केस आधार पर राहत दे सकते हैं। छूट मिलने पर उसकी जगह तुरंत किसी अन्य कर्मचारी को नियुक्त किया जाए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने बताया कि कई राज्यों से ऐसे मामले सामने आए हैं जहां बीएलओ ने काम के अत्यधिक दबाव, लंबी ड्यूटी और संसाधनों की कमी के कारण आत्महत्या कर ली।

इस पर सीजेआई ने कहा, "यह बेहद गंभीर मामला है। जिस भी राज्य में ऐसा हो रहा है, वहां प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी होगी।"

तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी टीवीके ने एसआईआर प्रक्रिया पर रोक लगाने या इसे संशोधित करने की मांग करते हुए कहा कि बीएलओ पर इतना अधिक बोझ डाला जा रहा है कि कई लोग तनाव में आकर जान गंवा रहे हैं।

याचिका में कोर्ट से बीएलओ परिवारों को मुआवजा दिलवाने का अनुरोध भी किया गया है।

Point of View

NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की मौतों पर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की है और राज्यों को निर्देश दिया है कि वे अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती करें।
बीएलओ की मौतों के पीछे क्या कारण हैं?
बीएलओ की मौतें अत्यधिक काम के दबाव, लंबी ड्यूटी और संसाधनों की कमी के कारण हो रही हैं।
क्या पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिलेगा?
याचिका में पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की गई है, जिसे कोर्ट ने भी विचार करने का आश्वासन दिया है।
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