क्या जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी?

सारांश
Key Takeaways
- जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई जारी है।
- जांच कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती दी जा रही है।
- राजनीतिक दबाव का आरोप लगाया गया है।
- उचित प्रक्रिया का पालन न होना चिंता का विषय है।
- 30 जुलाई को अगली सुनवाई की जाएगी।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई की प्रक्रिया आरंभ हुई। जस्टिस वर्मा ने नकदी मिलने से संबंधित जांच कमेटी की रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की। इस मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ द्वारा की जा रही है।
जस्टिस वर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपने तर्क प्रस्तुत किए। सिब्बल ने कहा, "यह पूरा मामला राजनीतिक रंग ले चुका है।"
उन्होंने यह भी तर्क किया कि 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी वीडियो और तस्वीरों के प्रकाशन के बाद, जस्टिस वर्मा को पहले से ही दोषी मान लिया गया।
सिब्बल ने यह सवाल उठाया कि घटनास्थल से प्राप्त धन कहाँ गया और इसे क्यों नहीं जब्त किया गया।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 124 (5) के तहत जजों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों की बेंच ने स्पष्ट किया है कि उचित प्रक्रिया के बिना किसी जज के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती।
सिब्बल ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इन-हाउस जांच नियमों के अनुसार, जांच पूर्ण होने तक जज के आचरण पर सार्वजनिक चर्चा नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने यह तर्क किया कि जांच कमेटी ने जस्टिस वर्मा को अपना पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं दिया। कमेटी ने नकारात्मक निष्कर्ष निकाले और उनसे पूछा कि नकदी कहाँ से आई, जबकि सबूतों की जांच ठीक से नहीं की गई। उन्होंने कहा कि कमेटी ने सीसीटीवी फुटेज जैसी महत्वपूर्ण सामग्री को नजरअंदाज किया और जस्टिस वर्मा के खिलाफ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया।
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने सिब्बल से पूछा, "यदि जस्टिस वर्मा को कमेटी की प्रक्रिया पर भरोसा नहीं था, तो वे इसके समक्ष क्यों आए?"
उन्होंने यह भी प्रश्न उठाया कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना द्वारा जांच रिपोर्ट को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजने में क्या गलत है, जबकि राष्ट्रपति जजों की नियुक्ति का अधिकार रखते हैं।"
जस्टिस दत्ता ने कहा कि रिपोर्ट भेजना यह नहीं दर्शाता कि सीजेआई संसद को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
सिब्बल ने उत्तर दिया कि संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही मामला राजनीतिक बनता है, लेकिन यहाँ जांच की शुरुआत से पहले ही इसे सार्वजनिक और राजनीतिक बना दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर 30 जुलाई को सुनवाई करेगा।