क्या सुप्रीम कोर्ट का निर्णय हमारे विकास के संकल्प को मजबूत करता है? : सीएम रेखा गुप्ता

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 15 साल पुराने वाहनों पर कार्रवाई पर रोक लगाई।
- मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राहत की घोषणा की।
- वाहनों का मूल्यांकन आयु के बजाय माइलेज और प्रदूषण स्तर पर आधारित होना चाहिए।
- यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण और जनहित के बीच संतुलन बनाए रखता है।
- केंद्र सरकार को चार हफ्तों में जवाब देने का आदेश।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने वाली दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। इस महत्वपूर्ण निर्णय पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "हम न्यायिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करते हुए दिल्लीवासियों के हित में अपना पक्ष मजबूती से रखते रहेंगे।"
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "दिल्लीवासियों को हार्दिक बधाई! हमारी सरकार के निवेदन को सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया है। अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के विरुद्ध तत्काल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।"
उन्होंने कहा, "हमने पुनर्विचार याचिका के माध्यम से यह आग्रह किया था कि वाहनों का मूल्यांकन केवल उनकी आयु के आधार पर न होकर, उनकी चालित दूरी (माइलेज) और प्रदूषण स्तर (एमिशन लेवल) के आधार पर किया जाए, ताकि वास्तविक प्रदूषण करने वाले वाहनों की ही पहचान और कार्रवाई हो।"
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रेखा गुप्ता ने कहा, "हम न्यायिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करते हुए दिल्लीवासियों के हित में अपना पक्ष मजबूती से रखते रहेंगे। यह निर्णय हमारे उस संकल्प को मजबूत करता है कि विकसित दिल्ली की दिशा में हम पर्यावरण संरक्षण और जनता की सुविधा के बीच संतुलन बनाए रखेंगे।"
सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 15 साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहन मालिकों पर किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई न किए जाने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों के भीतर जवाब भी मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की पीठ ने मंगलवार को यह आदेश तब पारित किया, जब दिल्ली सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कोई दंडात्मक कदम न उठाने का आदेश देने पर विचार करने की अपील की थी।