क्या सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद कांग्रेस ने कहा- 'राहुल गांधी को संसद में बोलने नहीं दे रहे'?

सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस का आरोप है कि राहुल गांधी को बोलने नहीं दिया जा रहा।
- सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है।
- भाजपा सांसद का राहुल पर आरोप भारत विरोधी मानसिकता का है।
- राजनीतिक विमर्श में पारदर्शिता की आवश्यकता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के 'चीन द्वारा भारत की भूमि पर कब्जा' संबंधी बयान पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई कड़ी टिप्पणी ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। कांग्रेस नेताओं ने इस टिप्पणी का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि राहुल गांधी को चीन के मुद्दे पर संसद में अपनी बात रखने से रोका जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, "मैंने अभी तक कोर्ट के बयान का गहराई से अध्ययन नहीं किया है। मैं इसे पढ़ने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया दूंगी।"
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का जिक्र करते हुए राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "लोकसभा में राहुल गांधी को बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है। राहुल लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और संसद की कार्यवाही के 10 दिन बीत जाने के बावजूद उन्हें केवल एक दिन बोलने का अवसर मिला है। सरकार चीन और गालवान घाटी पर चर्चा नहीं करना चाहती है।"
कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने राष्ट्र प्रेस से कहा, "जहां तक राहुल गांधी का प्रश्न है, सुप्रीम कोर्ट ने उन पर रोक लगा दी है। राहुल यही जानना चाहते हैं कि सच्चाई क्या है? वे इस बारे में खुलकर बात नहीं करते और इसलिए ऐसी बातें फैलती हैं।"
कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा, "यदि सुप्रीम कोर्ट ने कोई टिप्पणी की है, तो मुझे लगता है कि राहुल गांधी उसे देखेंगे।"
वहीं, भाजपा सांसद कंगना रनौत ने राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी हमेशा भारत के खिलाफ बोलते हैं। चाहे वह अर्थव्यवस्था का विषय हो या रक्षा बलों से संबंधित, वे हमेशा भारत के खिलाफ बोलते हैं। उनकी भारत विरोधी मानसिकता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें फटकार लगाना स्वागत योग्य है। आने वाले समय में अन्य लोगों को भी ध्यान रखना चाहिए कि वे भारत के सम्मान, अखंडता और मनोबल को ठेस न पहुंचाएं।"