क्या सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए प्रावधानों पर भूपेश बघेल की याचिका की सुनवाई से इनकार किया?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने भूपेश बघेल की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया।
- बघेल ने पीएमएलए के प्रावधानों को असंवैधानिक बताया।
- हाईकोर्ट जाने की सलाह दी गई।
- ईडी शराब घोटाले की जांच कर रहा है।
- राजनीतिक दृष्टिकोण से मामला महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बघेल को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।
बघेल की याचिका में पीएमएलए की धारा 50 और 63 को असंवैधानिक ठहराने की मांग की गई थी। उनका कहना था कि ये प्रावधान नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
भूपेश बघेल ने कहा कि धारा 50 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को किसी व्यक्ति को समन जारी कर पूछताछ करने का अधिकार है, और उसे अपने ही बचाव के खिलाफ बयान देने के लिए मजबूर किया जा सकता है। वहीं, धारा 63 में इन प्रावधानों के उल्लंघन पर दंड का प्रावधान है।
बघेल ने कहा कि ये प्रावधान मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि इनसे ईडी को किसी भी व्यक्ति को समन करने का अधिकार मिलता है।
उन्होंने धारा 44 में संशोधन की मांग की, जिसमें सुझाव दिया गया कि ईडी अधिकारियों को मूल शिकायत दर्ज करने के बाद "आगे की जांच" केवल विशेष मामलों में और क्षेत्रीय अदालत की पूर्व अनुमति व आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ करने की अनुमति हो।
अदालत ने कहा कि धारा में कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर दुरुपयोग का आरोप है, तो हाईकोर्ट से उचित समाधान प्राप्त किया जा सकता है।
इससे पहले, 2 अगस्त को बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल ने करोड़ों रुपए के छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़ी कथित अनियमितताओं की जांच में केंद्रीय एजेंसियों के कानूनी अधिकार पर सवाल उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। याचिका में इस बात पर स्पष्टता मांगी गई थी कि क्या एजेंसियों ने पीएमएलए और अन्य कानूनों के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है।
बता दें कि ईडी 2 हजार करोड़ रुपए के शराब सिंडिकेट के आरोपों की जांच कर रहा है, जो कथित तौर पर बघेल के कार्यकाल के दौरान संचालित हुआ था। बघेल ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया है और ईडी की कार्रवाई को प्रतिशोध की राजनीति का उदाहरण बताया है।