क्या सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से स्टेटस रिपोर्ट मांगी?

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क्या सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से स्टेटस रिपोर्ट मांगी?

सारांश

क्या सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी? जानें इस महत्वपूर्ण मामले के बारे में सभी तथ्य।

Key Takeaways

  • सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में स्थगन का मामला गंभीर है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
  • आरटीआई कानून के कार्यान्वयन में देरी चिंता का विषय है।
  • सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
  • नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) और राज्य सूचना आयोगों में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अब 17 नवंबर तक स्थगित हो गई है। अदालत ने सभी राज्य सरकारों से सूचना आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया पर स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

यह मामला सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के प्रभावी कार्यान्वयन से जुड़ा हुआ है, जिसमें आयोग में लंबित मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग के लिए सर्च कमेटी ने अपनी प्रक्रिया पूरी कर ली है। चयन समिति, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल हैं, तीन सप्ताह में नामों पर विचार करेगी। केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराजन ने बताया कि सर्च कमेटी ने सिफारिशें चयन समिति को भेज दी हैं, जो दो-तीन हफ्तों में निर्णय लेगी।

याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने सरकार पर अदालत के आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जनवरी 2025 में एक केंद्रीय सूचना आयुक्त और दो सूचना आयुक्त थे, लेकिन अब केवल एक केंद्रीय सूचना आयुक्त और एक सूचना आयुक्त बचे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने में नियुक्तियों का आदेश दिया था, लेकिन 10 महीने बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।

भूषण ने कहा कि 11 सूचना आयुक्तों की जगह केवल दो कार्यरत हैं, जिससे आरटीआई कानून की धज्जियां उड़ रही हैं और लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने यह भी मांग की कि आवेदकों के नाम सार्वजनिक किए जाएं ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। हालाँकि, जस्टिस सूर्यकांत ने चिंता व्यक्त की कि इससे गुमनाम शिकायतें आ सकती हैं, जो प्रक्रिया को बाधित करेंगी।

भूषण ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार कुछ विशेष व्यक्तियों को बिना आवेदन के नियुक्त कर रही है, जैसे एक पत्रकार की नियुक्ति, जिनका इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं था। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि उन्हें ऐसी नियुक्तियों की जानकारी नहीं है। भूषण ने अदालत के पुराने निर्देश का हवाला दिया, जिसमें गैर-आवेदकों के नाम पर विचार न करने का हलफनामा मांगा गया था।

Point of View

यह स्पष्ट है कि सूचना आयोगों में नियुक्तियों में देरी से न केवल आरटीआई कानून की प्रभावशीलता प्रभावित होती है, बल्कि यह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में भी बाधा डालती है। सरकार को इस प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता है ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने कब तक सुनवाई टाली है?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 17 नवंबर तक टाल दी है।
क्या सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी है?
हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से सूचना आयुक्तों के चयन की स्थिति पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
केंद्रीय सूचना आयोग में कितने सूचना आयुक्त हैं?
वर्तमान में केवल एक केंद्रीय सूचना आयुक्त और एक सूचना आयुक्त कार्यरत हैं।
क्या सरकार ने बिना आवेदन के किसी को नियुक्त किया है?
हाँ, आरोप है कि सरकार कुछ समर्थित लोगों को बिना आवेदन के नियुक्त कर रही है।
आरटीआई कानून के तहत नियुक्तियों में देरी का क्या प्रभाव है?
नियुक्तियों में देरी से आरटीआई कानून की धज्जियां उड़ रही हैं और लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है।