क्या तमिलनाडु में कानून व्यवस्था और ड्रग्स पर सियासी घमासान चल रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- तमिलनाडु में कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
- एआईएडीएमके ने डीएमके सरकार पर आरोप लगाया है।
- स्वास्थ्य मंत्री का 'ड्रग्स-फ्री' बयान विवाद का विषय बन गया है।
- फिल्म जगत की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं।
- समाज में बढ़ती हिंसा और नशे की समस्या को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
चेन्नई, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले में ओडिशा के एक युवक पर चार नाबालिगों द्वारा किए गए हमले ने राजनीति को गर्मा दिया है। इस घटना पर एआईएडीएमके के राष्ट्रीय प्रवक्ता कोवई सत्यन ने डीएमके सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने राज्य को 'ड्रग्स-फ्री' बताने वाले स्वास्थ्य मंत्री एम. सुब्रमणियन के बयान को भी खारिज किया है।
तिरुवल्लूर की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कोवई सत्यन ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि सरकार इस मामले में महत्वपूर्ण सच्चाई को छिपा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जिस व्यक्ति को गंभीर चोटें आई हों, उसे एक दिन के भीतर उसके गृह राज्य ओडिशा कैसे भेजा गया।
उन्होंने कहा कि अब तक पीड़ित की स्थिति के बारे में कोई ठोस जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। सत्यन का आरोप है कि पुलिस पूरी तरह से सत्ताधारी नेताओं के इशारों पर काम कर रही है और स्वतंत्र रूप से कार्रवाई करने में असमर्थ है।
स्वास्थ्य मंत्री एम. सुब्रमणियन द्वारा तमिलनाडु को 'ड्रग्स-फ्री राज्य' कहने पर एआईएडीएमके प्रवक्ता ने कहा कि डीएमके सरकार के मंत्री झूठ बोल रहे हैं। कोवई सत्यन ने सवाल किया कि जब हर दिन गांजा और नशीले पदार्थों की खेप पकड़ी जा रही है, तो इन नशों का कारोबार कौन करवा रहा है।
उन्होंने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार को इस स्थिति का जिम्मेदार ठहराया और उसे पूरी तरह असक्षम बताया।
कोवई सत्यन ने राज्य में बढ़ते ड्रग्स के चलन के लिए फिल्म जगत की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कई फिल्मों में नायकों को कानून को तोड़ते हुए दिखाया जाता है, जिससे युवाओं में गलत संदेश जा रहा है।
एआईएडीएमके प्रवक्ता ने कहा कि समाज में बढ़ती हिंसा और नशे की समस्या को रोकने के लिए सिर्फ पुलिस या सरकार ही नहीं, बल्कि फिल्म जगत को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
उन्होंने मांग की कि सरकार इस मामले की पूरी जानकारी जनता के सामने रखे और राज्य में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाए।