क्या तेजस्वी के 'चुनाव के बहिष्कार' वाले बयान पर नीरज कुमार का तंज सही है?

सारांश
Key Takeaways
- जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार का तेजस्वी पर तीखा हमला।
- चुनाव बहिष्कार का मुद्दा राजनीतिक प्रासंगिकता पर प्रश्न चिन्ह।
- तेजस्वी का कहना कि चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं।
- नीरज का आरोप कि तेजस्वी की पार्टी में धन का आभाव।
- राजनीतिक निर्णय लेने की क्षमता का महत्व।
पटना, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राजद नेता तेजस्वी यादव के 'चुनाव के बहिष्कार' वाले बयान पर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज करते हुए कहा है कि क्या तेजस्वी की कोई राजनीतिक प्रासंगिकता भी बची है?
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि तेजस्वी यादव विभिन्न दलों से संपर्क करने का दावा तो करते हैं, किंतु क्या उनका राजनीतिक अस्तित्व अब भी है? उनके पिता बीमार हैं, और उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि उनके बेटे को नेता बनाएं। इसके अलावा, उनकी सहयोगी पार्टी भी साथ नहीं आना चाहती। यदि तेजस्वी चुनावी मैदान में नहीं उतरते हैं, तो उनकी पार्टी का क्या होगा?
नीरज कुमार ने तेजस्वी पर आरोप लगाया कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में शराबबंदी वाले राज्य में दारू की कंपनी से 46 करोड़ 64 लाख रुपये इलेक्टोरल बांड के रूप में लाए हैं। यदि वे चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे, तो यह राशि उनकी पार्टी में कैसे आएगी? तेजस्वी का चुनाव का बहिष्कार, केवल एक बयानबाजी का हिस्सा है। राजनीति में निर्णय लेने की क्षमता केवल दृढ़ संकल्प वाले व्यक्तियों में होती है।
नीरज कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। सर्वोच्च न्यायालय में जो मामले विचाराधीन हैं, उनका बिहार विधानसभा से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या हमारे पास एसआईआर के प्रावधान पर विचार करने का अधिकार है? बिहार विधान परिषद के सभापति ने पहले दिन ही इस बारे में बताया था, लेकिन उन्हें समझ में नहीं आता है। विरोध प्रदर्शन के लिए काला कपड़ा पहनकर आना ठीक है, लेकिन अब स्थायी रूप से इसे पहन लें। लोकसभा चुनाव में चार सीटों पर सिमट गए हैं, इस बार पूरी तरह से साफ हो जाएंगे।
यह ध्यान देने योग्य है कि राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत के दौरान, तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव के बॉयकॉट का संकेत दिया था, जिसमें उन्होंने कहा कि इस विषय पर लोगों से बातचीत करेंगे। जब भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी वोटर लिस्ट पर चुनाव होगा, तो ऐसे चुनाव का क्या अर्थ है?