क्या तेजस्वी यादव दलित-पिछड़ों को सत्ता में भूल गए?
सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का बयान राज्य में मुस्लिम और दलित समुदाय के लिए अवसरों की बात करता है।
- संजय निषाद का आरोप है कि सत्ता में रहते हुए दलितों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ।
- राजनीतिक बयानबाजी में जातीय समीकरणों का महत्व है।
बस्ती, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के हालिया बयान ने राजनीतिक चर्चाओं को हवा दे दी है। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री संजय निषाद ने बुधवार को तेजस्वी यादव के उस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में महागठबंधन की सरकार आने पर मुस्लिम और दलित समुदाय को भी अवसर दिए जाएंगे।
संजय निषाद ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में कहा कि अगर तेजस्वी यादव और उनका परिवार सत्ता में रहते हुए पिछड़े वर्गों और दलितों के लिए कार्य करते, तो आज उन्हें वोट मांगने की आवश्यकता नहीं होती।
उन्होंने यह भी कहा कि जब वे सत्ता में थे तब दलितों और पिछड़ों की स्थिति में सुधार क्यों नहीं हुआ? अब जब वे सत्ता से बाहर हैं, तो वे क्या परिवर्तन ला सकते हैं? अब तो केवल अपनी बातें बदल सकते हैं। 20 साल में बहुत कुछ किया जा सकता है। जापान हमसे 20 साल बाद स्वतंत्र हुआ और आज वह कहाँ पहुँच गया है। इन लोगों ने 20-20 साल सत्ता में रहते हुए जनता के लिए क्या किया?
मंत्री निषाद ने कहा कि तेजस्वी यादव और उनके परिवार की राजनीति हमेशा जातीय समीकरणों पर निर्भर रही है, लेकिन जब भी ये लोग सत्ता में आए हैं, तब पिछड़े और दलित वर्गों को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने आगे कहा कि अगर पिछड़ों और दलितों के लिए इन लोगों ने कार्य किया होता, तो शायद आज इन्हें वोट नहीं मांगने पड़ते। ये लोग सत्ता में आते हैं तो पिछड़े और दलितों को भूल जाते हैं।
ज्ञात हो कि तेजस्वी यादव ने हाल ही में कहा था कि बिहार में अगर महागठबंधन सरकार बनती है, तो राज्य में एक से अधिक उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे, जिसमें मुस्लिम और दलित समुदाय से भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा। तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद राजनीतिक बहस तेज हो गई है। सत्तारूढ़ दल के नेता इसे मात्र चुनावी वादा बता रहे हैं।